
देश के सबसे बड़े और 119 साल पुराने ग्वालियर व्यापार मेला में दुकानों के आवंटन को लेकर मेले के दुकानदार और सरकार में ठन गई है. ई-टेंडरिंग (E-Tendering) के जरिए दुकान आवंटन के खिलाफ व्यापारियों ने मंगलवार को मेला परिसर में धरना दिया. मेले का संचालन राज्य शासन द्वारा गठित एक प्राधिकरण बोर्ड करता है, लेकिन लंबे समय से इसमें अध्यक्ष और संचालक मंडल के पद पर राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हुई हैं. इसके कारण मेले पर अभी शासन और अफसरों का कब्जा है.
इसके अध्यक्ष पद पर संभागीय आयुक्त हैं और बोर्ड में विभिन्न विभागों के अधिकारी. पिछले दिनों हुई बोर्ड मीटिंग में मेले की दुकानों की कालाबाजारी का मुद्दा उठा था, जिस पर निर्णय लिया गया कि मेले में स्थित दुकानों में से 25 फीसदी पुराने दुकानदारों को दी जाएं, जबकि 75 फीसदी का आवंटन ई-टेंडर के जरिए किया जाए.
मेला व्यापारी संघ ने लगाए ये आरोप
मेला व्यापारी संघ (Fair Traders Association) अब इस बदलाव के खिलाफ खुलकर सड़कों पर आ गया है. संघ के आह्वान पर व्यापरियों ने मेला प्राधिकरण के बाहर धरना देकर आंदोलन किया और मेला सचिव को ज्ञापन सौंपा. व्यापारी संघ के संरक्षक महेश मुदगल और अध्यक्ष महेंद्र भदकारिया का कहना है कि मेले में ज्यादातर व्यापारी ऐसे हैं, जिनके परिवार सिंधिया रियासतकाल से पीढ़ी दर पीढ़ी दुकानें लगाते चले जा रहे हैं. उनकी दुकान आरक्षित रहती है, लेकिन अब प्राधिकरण इसे उनसे छीनकर अपने चहेतों को देना चाहता हैं. मेले में दुकान लगाने वाले ज्यादा पढ़े लिखे और तकनीक फ्रेंडली नहीं होते हैं, इसलिए उन्हें परेशान करने का यह षड्यंत्र हैं. इसका हम हर स्तर पर विरोध करेंगे.
मेला प्राधिकरण ने क्या कहा?
उधर मेला विकास प्राधिकरण के सचिव का कहना हैं कि बोर्ड ने कालाबाजारी रोकने और दुकान आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिए ई-टेंडरिंग शुरू करने का फैसला लिया है. जो पुराने दुकानदार हैं, उनके लिए 25 फीसदी कोटा फिक्स रखा है. व्यापारियों ने उन्हें जो ज्ञापन सौंपा है, उसे वे बोर्ड अध्यक्ष तक पहुंचा देंगे.
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