
Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में 2012 में हुए बहुचर्चित पुलिस भर्ती घोटाले में नौ साल के बाद कोर्ट (Court) का बड़ा फैसला आया है. इस मामले में विशेष न्यायालय (Special Court) ने तीन आरोपियों को चार - चार साल की कैद और जुर्माने की सज़ा सुनाई है. सज़ा पाने वालों में दो भाई भी है.
ऐसे खुला था घोटाला
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में 2012 में आरक्षको की भर्ती परीक्षा हुई थी. इसमे सोमेश तोमर ने भी परीक्षा पास की थी और उनका आरक्षक पद पर चयन हो गया था लेकिन 2014 में इस बात का खुलासा हुआ कि सोमेश ने यह परीक्षा फर्जी तरीके से पास की थी. इस केस की एफआईआर (FIR) 10 जुलाई 2014 को भिण्ड (Bhind) के देहात थाने में दर्ज की गई थी. इस मामले में जब सोमेश को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उसने पुलिस को बताया कि उसके भाई उमेश तोमर ने 80 हजार रुपये देकर मनोज पाठक निवासी हमीरपुर की सॉल्वर के रूप में बुलवाया और उसे ही सोमेश की जगह परीक्षा देने के लिए बैठाया गया. यह परीक्षा 30 सितम्बर को रीवा (Rewa) में हुई थी.
पुलिस ने इस मामले में उमेश तोमर को मीडियेटर और मनोज पाठक को सॉल्वर के रूप में नामजद कर लिया था. पुलिस ने 22 जुलाई 2014 को सोमेश को और 7 जून 2015 को उमेश को और 16 जून 2015 को मनोज को गिरफ्तार कर लिया था.
जांच सीबीआई को सौंपी गई
इस कांड के खुलने के बाद पूरे मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में जबरदस्त हंगामा मचा और जमकर राजनीति (Politics) हुई. भारी आक्रोश और सरकार पर साधे जा रहे निशाने के चलते इस मामले की जांच 21 अगस्त 2015 को सीबीआई (CBI) को सौंप दी गई. इस मामले में जांच के बाद सीबीआई ने विशेष कोर्ट में चालान पेश किया. लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया.
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यह सुनाया फैसला
विशेष न्यायाधीश अजय सिंह ने इस मामले में तीन आरोपियों को दोषी ठहराया है इसमें आरोपी सोमेश तोमर, मीडियेटर उमेश तोमर और सॉल्वर रहे मनोज पाठक को चार- चार साल की कैद की सज़ा सुनाई है. विशेष लोक अभियोजक चंद्रपाल सिंह ने बताया कि कोर्ट ने इस मामले में आरोपी सोमेश और उमेश पर 13100 - 13100 और आरोपी मनोज पाठक पर 14100 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.