Gwalior Special Stadium: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर जिले में भारत और बांग्लादेश (India vs Bangladesh T20 Match) की क्रिकेट टीमों के बीच सीरीज का पहला T20 मैच होना है. ग्वालियर (Gwalior) में क्रिकेट प्रेमियों में खुशी है क्योंकि ग्वालियर की धरती पर अंतरराष्ट्रीय मैच (International Cricket Match) पूरे 14 साल बाद हो रहा है, और वह भी शंकरपुर में दो सौ करोड़ की लागत से बनाये गए श्रीमंत माधव राव सिंधिया इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम (Madhav Rao Scindia International Cricket Stadium) में... अभी तक यह सारे मैच ग्वालियर के रूप सिंह स्टेडियम (Capt. Roop Singh Stadium) में होते थे. भले ही अब इसमें कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं होगा, लेकिन रूप सिंह स्टेडियम अपने यहां की पिच पर रचे गए इतिहास के कारण दुनिया के क्रिकेट इतिहास में अजर -अमर रहा है और रहेगा. दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह तीर्थ स्थल से कम नहीं मानी जाती है. यहां की पिच देखने के लिए देश दुनिया से पर्यटक यहां पहुंचते हैं और नवोदित क्रिकेटर तो पिच पर जाकर अपना माथा टेकते हैं.
इस तरह पड़ा रूप सिंह स्टेडियम का नाम
ग्वालियर में रूप सिंह स्टेडियम हॉकी का था और इसका नाम भी हॉकी के महान खिलाड़ी कैप्टन रूप सिंह के नाम पर ही रखा गया. लेकिन, 80 के दशक में माधव राव सिंधिया ने ग्वालियर में क्रिकेट का आधार करते हुए यहां ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन का गठन किया और नगर निगम से रूपसिंह स्टेडियम को लीज पर लेकर यहां क्रिकेट की नर्सरी खोली. GDCA के सचिव संजय आहूजा बताते हैं कि 1986 से यहां क्रिकेट मैच खेलना शुरू हुआ. यहां हर साल सिंधिया गोल्ड कप का आयोजन होता था, जो देश के विख्यात राष्ट्रीय टूर्नामेंट में से एक था. तब के सभी नामी खिलाड़ी, चाहे सुनील गावस्कर हो, मदन लाल हो, कपिलदेव हो या रोजर बिन्नी सभी इस मैदान में खेलने आते थे.
हो चुके हैं कई इंटरनैशनल मैच
आहूजा बताते है कि रूपसिंह स्टेडियम उस समय की सभी टीमें खेल चुकी हैं. इंग्लैंड से यहां दो इंटरनेशनल मैच खेले गए. पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाबे, आदि से भी भारत के मैच हुए. इंग्लेंड में साथ तो लगातार दो दिन में दो वन-डे यहां खेलने का विश्व रिकॉर्ड भी यहां दर्ज है. लेकिन, सबसे खास है सचिन तेंदुलकर को भगवान का दर्जा भी इसी मैदान में मिला.
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सचिन को भगवान का दर्जा यहीं मिला
दरअसल, 24 फरवरी 2010 को साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहली ODI डबल सेंचुरी करके एक इतिहास इसी मैदान में रचा था. इसके बाद इस मैदान का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिख गया. देश भर से पर्यटक इस मैदान को देखने यहां पहुंचते है. नवोदित क्रिकेटर पिच पर जाकर मत्था टेकते हैं और यहां की मिट्टी भी अपने साथ ले जाते है.
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