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Gwalior: सिर्फ स्प्लेंडर बाइक चोरी करता था ये गिरोह, बेचने की जगह ऐसे वसूलता था पैसे

Gwalior Crime: ग्वालियर में पुलिस ने एक गिरोह को पकड़ा है. ये गिरोह सिर्फ स्प्लेंडर बाइक चोरी करता था. इतना ही नहीं ये गिरोह चोरी की गई बाइक को बेचने की जगह गिरवीं रखकर पैसे वसूलता था.

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Gwalior: सिर्फ स्प्लेंडर बाइक चोरी करता था ये गिरोह, बेचने की जगह ऐसे वसूलता था पैसे
10 मोटरसाइकिल के साथ पकड़े गए स्पलेंडर चोर.

ग्वालियर (Gwalior) में दुपहिया वाहनों की चोरी करने वाले चोरों का एक गैंग पकड़ा गया है. इस गिरोह का तरीका ए वारदात से लेकर इनको खपाने तक का तरीका एकदम अलग है. ये गैंग पहले रेकी करता है फिर स्पलेंडर गाड़ियां चुराता था. चुराते ही गाड़ी का हुलिया बदल देता था और फिर दूरस्थ गांव में चला जाता था. बता दें कि पुलिस ने दो आरोपी को पकड़ा है, जिनमें से एक रिटायर सब इंस्पेक्टर की हत्या में आरोपी है. वहीं पुलिस अब तक चोरी की गई दस बाइकों को बरामद कर चुकी है. 

मोटरसाइकिल चुराने की फिराक में पकड़ाया शातिर चोर

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ऋषिकेश मीणा ने बताया कि लगातार वाहन चोरी की घटनाओं को देखते हुए पुलिस द्वारा चोरों को पकड़ने के प्रयास किया जा रहे थे. इसके लिए एक स्पेशल टीम भी बनाई गई थी. इस बीच पुलिस को सूचना मिली कि एम एच चौराहे पर दो शातिर चोर एक मोटरसाइकिल चुराने की फिराक में पहुंचे हैं. जैसे ही युवक ताला खोलता दिखा पुलिस ने घेराबंदी कर आरोपियों को दबोच लिया. पकड़े गए आरोपी उटीला और हुरावली इलाके के रहने वाले हैं. इनके नाम मायाराम और राहुल यादव बताए गए हैं.

पुलिस ने जब इन से कड़ाई से पूछताछ की तो उनके कब्जे से 10 मोटरसाइकिल मिली. सभी मोटरसाइकिल इनके द्वारा 1 महीने के अंदर में चोरी की गई थी. पकड़े गए आरोपियों में से एक के खिलाफ मुरार में चोरी के तीन और जुआ का एक प्रकरण दर्ज है. वहीं दूसरा आरोपी बहोड़ापुर क्षेत्र में रिटायर्ड उपनिरीक्षक की हत्या में भी शामिल रहा है. फिलहाल आरोपियों से अन्य वारदातों के बारें में पूछताछ की जा रही है.

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चुराते ही बदल देता है हुलिया

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में वाहन चोरों ने कई बड़े खुलासे किए हैं, जिन्हें सुनकर पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए. चोरों ने बताया कि वो सिर्फ स्प्लेंडर गाड़ी  ही चुराते हैं, क्योंकि इसकी मार्किट वेल्यू अच्छी है, इसलिए ये ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से खफ जाती है. गाड़ी चुराते ही वो गाड़ी की नम्बर प्लेट, गाड़ी पर लगा कम्पनी का लोगो और सारे अन्य चिन्ह यहां तक कि सीट कवर तक बदल देते हैं, ताकि चोरी की गई गाड़ी की हुलिया से मेल न खाए और सीसीटीवी कैमरे में कैद होने के बावजूद पुलिस इसके दूसरी गाड़ी होने का धोखा खा जाए. 

बेचने की जगह गाड़ियों को रखते हैं गिरवी

चोरों ने चोरी की गई गाड़ियों को खपाने की भी नई तरकीब निकाली है. उनका कहना है कि गाड़ियों को बेचने में दिक्कत आती है इसलिए वो महज 8 हजार रुपये में गाड़ी गिरबी रखने के बहाने पैसे वसूल लेते हैं. इसमें ट्रांसफर का झंझट भी नहीं होता है. 

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