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This Article is From Sep 13, 2024

बाढ़ में भूखा-प्यासा फंसा रहा ये नेत्रहीन परिवार, SDRF की टीम को खेत में चलानी पड़ी नाव

MP Flood: मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र में जारी ऐतिहासिक बारिश के बाद हालात काफी चिंताजनक हो चुके हैं. लोगों के सामने हर तरह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, वहीं, बाढ़ के बीच एक नेत्रहीन परिवार करीब 12 घंटे तक फंसा रहा. इन लोगों के पास इस दौरान न खाना था, न मोबाइल में बैक्ट्री थी, जिसकी वजह से संपर्क से पूरी तरह कट चुके थे. 

बाढ़ में भूखा-प्यासा फंसा रहा ये नेत्रहीन परिवार, SDRF की टीम को खेत में चलानी पड़ी नाव
Gwalior : भूखा-प्यासा फंसा रहा ये नेत्रहीन परिवार, SDRF की टीम को खेत में चलानी पड़ी नाव.

MP News In Hindi: ग्वालियर अंचल में बीते दो दिन लगातार हुई तेज बरसात में हजारों की संख्या में लोग बाढ़ में फंस गए थे, ग्वालियर जिले में ही 700 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया. लेकिन इनमें खास था एक नेत्रहीन परिवार का रेस्क्यू करना. इस परिवार के 18 सदस्य बाढ़ में ऐसे फंसे कि इन्हें न भोजन मिला न पानी. न मोबाइल का सहारा था न कोई दिशा बताने वाला. लेकिन एसडीआरएफ के जवान इनके संकटमोचन बनकर पहुंचे.

12 लोगों को सुरक्षित निकाला गया

दरअसल जिले के बिजौली थाना इलाके में पांच गांव में पानी भर गया. यहां पहुंचे एसडीएम अशोक चौहान और एसडीओपी बेहट संतोष पटेल ने हालात को देखते हुए यहां एसडीआरएफ और सेना का बचाव दस्ता बुलाया. एसडीआरएफ़ की टीम द्वारा बिलहेटी गांव के बीरबल का पुरा से 12 लोगों को सुरक्षित निकाला गया. जबकि आर्मी की टीम द्वारा खोदूपुरा गांव से 10 लोगों जिनमे ज्यादातर बुजुर्ग और बच्चे थे को सुरक्षित निकाला गया. शाम को  तहसीलदार दीपेश धाकड़ को सूचना मिली कि पारसेन गांव के एक किसान परिवार का घर गिर गया. उनके पास मोबाइल भी नहीं है. सुबह से कोई संपर्क नहीं हो रहा है. इसके बाद एसडीआरएफ़ की टीम को टास्क दिया गया.

नज़र पड़ी तो मुस्कुराने लगी प्रियंका

टीम के प्लाटून कमाण्डर अजय सिंह की टीम के ड्राइवर ख़ान, भानु तोमर, विजय दंडोतिया ने जब नाव को बाजरे के खेत से खींचते हुए किसान के घर के पीछे लगाया तो बेटी प्रियंका गुर्जर की नज़र पड़ी तो मुस्कुराने लगी. उसके बाद गिरे हुए मकान में एक अंधे दादा रामवीर गुर्जर उम्र-85 वर्ष,लकवाग्रस्त दादी 80 वर्ष  नजर आए.टीम ने सबको रेस्क्यू किया. लेकिन रामबरण की पत्नी रिंकी ने आने से मना कर दिया कि मेरी गाय को छोड़कर नहीं जाऊंगी. लेकिन पुलिस व होमगार्ड के जवानों द्वारा समझाइश देने के बाद रामबरण व उसकी पत्नी आने को तैयार हुए.

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खाना बनाने के लिए सामान नहीं बचा था

जब राहत दल पहुंचा तो वे खाना के लिए कंडे सुलगा रहे थे, लेकिन खाना बनाने के लिए सामान नहीं बचा था. सब बाढ़ में बह गया था. पहले टीम ने सबको खिलाया, पानी पिलाया फिर एसडीआरएफ़ के नाव चालक ख़ान सैनिक भानू व विजय ने जान की परवाह किए बिना नाव को बाजरा व धान के खेत से चलाते हुए सभी को सुरक्षित निकाला उसके बाद अफसरों और ग्रामीणों ने राहत की सांस ली.

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