
Big scam in Gwalior Municipal Corporation: ग्वालियर (Gwalior) नगर निगम अपने घोटालों और अनियमितताओं को लेकर आए-दिन चर्चा में रहती है. हालांकि इस बीच नगर निगम के अफसरों के द्वारा किए गए एक और घोटाला प्रकाश में आया है, जिसमें ग्वालियर से लेकर भोपाल तक के अफसर फंसते हुए नजर आ रहे हैं. बता दें कि इस बार नगर निगम की एक फायर ब्रिगेड ही लापता हो गई. इतना ही नहीं नगर निगम पांच-पांच साल से लापता इस गाड़ी को खोजने के लिए न तो खुद कोई प्रयास किया और न ही पुलिस की मदद ली, बल्कि अफसरों ने लगातार इसका बीमा कराते रहे.
दरअसल, ग्वालियर नगर निगम के फायर डिपार्टमेंट से एक फायर ब्रिगेड गाड़ी पिछले 5 वर्षों से गायब है. न तो निगम अधिकारियों के पास इश गाड़ी के संबंध में कोई जानकारी है और ना ही गाड़ी के गायब होने की एफआईआर दर्ज कराई गई है. सबसे बड़ी बात ये है कि जो गाड़ी 2019 से गायब है उस गाड़ी का साल 2022 में बीमा कराया गया.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
बता दें कि स्वयंसेवक अधिकारी कर्मचारी संघ मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र योगी द्वारा ये मामला अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है. नरेंद्र योगी का आरोप है कि नगर निगम ग्वालियर के फायर डिपार्टमेंट द्वारा बिना टेंडर प्रक्रिया अपने फायर ब्रिगेड गाड़ी को बेचकर नगर निगम कोष में ही पैसा नहीं जमा किया गया. इतना ही नहीं गाड़ी का बीमा करा कर नगर निगम को आर्थिक हानि भी पहुंचाई गई है.
वहीं इस मामले के सामने आने के बाद परिषद द्वारा दोषियों पर एफआईआर दर्ज कराने के भी निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसके बावजूद न तो गाड़ी वापस मिली और ना ही दोषियों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज हुई.
गायब होने के बाद भी गाड़ी का कराया गया बीमा
वहीं मामले में NDTV की टीम ने ग्वालियर नगर निगम के फायर डिपार्टमेंट के प्रभारी अपर आयुक्त अतिबल सिंह यादव से बातचीच की. इस दौरान उन्होंने कहा कि ग्वालियर नगर निगम के फायर डिपार्मेंट के पास 28 वाहन है जिसमें 20 वर्किंग वाहन है. गाडी संख्या सी पी एच -7924 जो कि 1981 मॉडल नंबर की गाड़ी है, लेकिन उनके फायर डिपार्टमेंट में पदस्थ होने से पहले से ही यह गाड़ी गायब है और उसे ढूंढने के काफी प्रयास किया जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि जब गाड़ियों की नीलामी की जा रही थी तो उस दौरान यह गाड़ी नीलामी के लिए नहीं लायी गई थी.
अतिबल सिंह यादव ने कहा कि उस समय फायर विभाग के नोडल ऑफिसर कांत कांटे द्वारा इस गाड़ी का बीमा कराया गया था और जब मामला परिषद में उठाया गया था तो इसका जवाब भी उनके द्वारा पेश किया गया था. फिलहाल मामले की जांच पड़ताल की जा रही है, क्योंकि अभी मामले की जांच हो रही है इसलिए एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है.