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This Article is From Sep 02, 2023

गुना: आदित्य L1 मिशन में गुना की दीपा मोदी की अहम भूमिका, ऑप्टो-मैकेनिकल डिजाइन में थीं शामिल

दीपा के मुताबिक, ये प्रोजेक्ट पूरी तरह से एक टीम प्रयास है. कोरोनल मास इजेक्शन, इसकी हीटिंग से पहले और बाद की गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता को समझने के लिए गहन जानकारी प्रदान करेगा.

गुना: आदित्य L1 मिशन में गुना की दीपा मोदी की अहम भूमिका, ऑप्टो-मैकेनिकल डिजाइन में थीं शामिल
आदित्य L1 मिशन में दीपा SUIT पेलोड और इसके हैंडलिंग मॉड्यूल के मुख्य ऑप्टो-मैकेनिकल डिजाइन में शामिल थीं.
गुना (एमपी):

चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने शनिवार को अपने सोलर मिशन आदित्य L1 को लॉन्च किया. इस मिशन के जरिए सूर्य के बारे में अध्ययन किया जाएगा. मिशन में मध्य प्रदेश के गुना की बेटी दीपा मोदी ने भी अहम भूमिका निभाई है. दीपा SUIT पेलोड और इसके हैंडलिंग मॉड्यूल के मुख्य ऑप्टो-मैकेनिकल डिजाइन में शामिल थीं. आदित्य L1 में सात पेलोड हैं. जिनमें से सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) को IUCAA पुणे द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है.

दीपा के मुताबिक, ये प्रोजेक्ट पूरी तरह से एक टीम प्रयास है. कोरोनल मास इजेक्शन, इसकी हीटिंग से पहले और बाद की गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता को समझने के लिए गहन जानकारी प्रदान करेगा.

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आदित्य L1 के ऑप्टो-मैकेनिकल डिजाइन में शामिल थीं दीपा

दीपा मोदी गुना के हनुमान कॉलोनी की रहने वाली है. वर्तमान में वह IUCAA के इंस्ट्रुमेंटेशन ग्रुप में वैज्ञानिक अधिकारी-ई के पद पर कार्यरत हैं. दीपा के पास दूरबीनों के लिए मैकेनिकल सिस्टम डिजाइन करने का व्यापक अनुभव है. आदित्य L1 मिशन में वह SUIT पेलोड और इसके हैंडलिंग मॉड्यूल के मुख्य ऑप्टो-मैकेनिकल डिजाइन में शामिल थीं. दीपा ने अपनी स्कूली शिक्षा क्राइस्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की. जबकि पीजी से स्नातक की उपाधि गुना महाविद्यालय से प्राप्त की है. इसके अलावा उन्होंने DAVV इंदौर से एमएससी और एम टेक की उच्च शिक्षा हासिल की है. 

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आदित्य L1 में सात पेलोड हैं. जिनमें से सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) को IUCAA पुणे द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है.

पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थापित होगा उपग्रह

इसरो के अनुसार आदित्य L1 मिशन के तहत उपग्रह को सूर्य और पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेन्जियन कक्षा में स्थापित किया जाएगा. जो कि पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है. 

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