![सागर : खेतों में फूली कास मानसून की विदाई का संकेत? बारिश के लिए इंद्रदेव को मना रहे किसान सागर : खेतों में फूली कास मानसून की विदाई का संकेत? बारिश के लिए इंद्रदेव को मना रहे किसान](https://c.ndtvimg.com/2023-09/achio4a8_sagar_625x300_03_September_23.jpg?downsize=773:435)
सागर : मध्य प्रदेश में पिछले करीब 20 दिनों से बरसात नहीं हुई है. बरसात न होने से सोयाबीन मक्का, उड़द, धान की फसलों पर संकट आ गया है. वहीं दूसरी ओर खेतों में होने वाली कास में जल्दी फूल आ जाने से किसानों की चिंता और बढ़ गई है. किसान मानते हैं कि कास में फूल आने के बाद वर्षा ऋतु के विदाई का समय आ जाता है, लेकिन इस बार कास में फूल जल्द आ गए और बरसात भी कम हुई है. बारिश की कमी को लेकर किसान चिंतित हैं.
किसान बारिश के लिए इंद्रदेव को मनाने में जुट गए हैं. सागर के बीना में किसानों ने परंपरागत सेहरा नृत्य किया. बुंदेलखंड में ऐसी मान्यता है कि सेहरा नृत्य करने से इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और वर्षा होती है. श्रीरामचरित मानस में चौपाई में वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है 'फूले कास सकल महि छाई, जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई' अर्थात कास नामक घास में फूल आना वर्षा ऋतु की विदाई का संकेत हैं. इसका मतलब है कि मानसून के समापन की बेला आ जाती है.
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इंद्रदेव को मनाने के लिए नृत्य करते किसान
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कास फूलने से जुड़ी पुरानी मान्यता
चौपाई में लिखा है 'सकल महि छाई' अर्थात चारों ओर कास फूलने पर वर्षा के बूढ़ी होने के संकेत मिलते हैं. यह वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु के आगमन का संकेत है. प्रकृति से इसके संकेत मिलने लगे हैं. खेतों में कास फूलने लगी है. पुराने लोग ग्रामीण क्षेत्र में कास में फूल आने को मानसून की विदाई का संकेत मानते हैं जिसका जिक्र ग्रंथों में भी है.
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जन्माष्टमी से पहले ही आ गए फूल
कास में फूल को देखकर ही ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने लोग वर्षा ऋतु की विदाई मान लेते थे और आने वाली ठंड से निपटने की तैयारी में लग जाते थे. कृष्ण जन्माष्टमी तक कास में फूल आ जाते हैं. तब यह माना जाता था कि अब बारिश बूढ़ी हो गई है. लेकिन इस बार कृष्ण जन्माष्टमी के दो सप्ताह पहले ही कास में फूल आ गए जो बारिश के बूढ़ी होने का संकेत था. इसी के साथ बारिश के बंद होने के संकेत मिलने लगते हैं.