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'स्कूल चलें हम' पर कैसे? विदिशा में सार्वजनिक कूड़ाघर बना विद्यालय, बच्चों ने कर ली पढ़ाई से तौबा

MP News in Hindi : विदिशा जिले में शिक्षा का स्तर इस कदर गिरा हुआ है कि यहां एक के एक सरकारी स्कूल और कूड़ादान में फर्क नहीं समझ आ रहा. स्कूल के आस-पास हर तरफ गंदगी पसरी हुई है. दीवारें और ईमारत जर्जर हो चुकी है... नतीजतन बच्चे पढ़ाई छोड़कर स्कूल आना नहीं चाह रहे.

'स्कूल चलें हम' पर कैसे? विदिशा में सार्वजनिक कूड़ाघर बना विद्यालय, बच्चों ने कर ली पढ़ाई से तौबा
'स्कूल चलें हम' पर कैसे? विदिशा में सार्वजनिक कूड़ाघर बना विद्यालय, बच्चों ने कर ली पढ़ाई से तौबा

Right to Education : स्कूल में पाठ पढ़ते बच्चे और उज्ज्वल भविष्य का नारा... ये सभी को अच्छे लगते हैं. शिक्षा विभाग भी खुद कहता है -- 'स्कूल चलें हम'... लेकिन विदिशा के खाई मोहल्ले के इस सरकारी स्कूल में शायद ही कोई कहे - आओ स्कूल चलें हम. यहां छत से खुला आसमान दिखता है, दीवारें दरक चुकी हैं और गंदगी का अंबार बच्चों को पढ़ाई के दौरान आंख-नाक दोनों बंद करने पर मजबूर करता है. शिक्षा का अधिकार, बच्चों का अधिकार... लेकिन जब इस अधिकार की बात आती है, तो जमीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत होती है... विदिशा के इस सरकारी स्कूल की हालत कुछ ऐसी ही है, जहां शिक्षा के नाम पर औपचारिकता हो रही है. आलम ऐसा है कि गंदगी के बीच ही बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ रही है. प्राचार्य खुद नगर पालिका स्कूल परिसर में कचरा डाल रही हैं. इस बारे में जब स्कूल स्टाफ से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कई बार नगर पालिका को इस बात की खबर दी गई लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. उल्टा, ऐसा लगता है कि नगर पालिका ने खुद इस जगह को कूड़ा घर समझ लिया है. इसलिए तो खुद नगर पालिका यहां आकर कचरा डालने का काम कर रही है.

गंदगी के चलते स्कूल में मच्छरों का आतंक

खाई मोहल्ले मके इस एक सरकारी स्कूल की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि यहां बच्चे मच्छरों और कचरे से घिरे इस स्कूल में न केवल बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है बल्कि डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है. स्कूल के प्राचार्य और शिक्षक लगातार इस समस्या को उजागर कर रहे हैं, लेकिन अब तक शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

बदहाली के चलते बच्चे नहीं आ रहे पढ़ने

इस स्कूल में कभी 150 बच्चे पढ़ाई करते थे लेकिन अब गंदगी के कारण अब केवल 104 बच्चे ही बचे हैं. स्कूल के प्राचार्य लक्ष्मी मरावी ने बताया कि कई बार शिक्षा विभाग को कचरे और गंदगी की शिकायत दी गई, लेकिन अब तो स्थिति यह हो गई है कि नगर पालिका खुद स्कूल परिसर में कचरा डालने लगी है. उन्होंने कहा, "हमने कई बार जानकारी दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. "

बच्चों के स्वास्थ्य पर भी मंडरा रहा खतरा

गंदगी के कारण मच्छरों का प्रकोप इतना बढ़ गया है कि बच्चों का स्कूल में बैठना भी मुश्किल हो गया है. टीचर सुदर्शना शर्मा ने बताया, "हम चाहते हैं कि शिक्षा विभाग इस पर कुछ कदम उठाए. बच्चों की सेहत और पढ़ाई दोनों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. "

टीचर भी बोले रहे- स्कूल में सिर्फ गंदगी

टीचर इंद्रा शर्मा ने बताया कि गंदगी और मच्छरों के कारण कई बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है. कुछ छात्रों को डेंगू भी हो चुका है, जिससे उनके स्वास्थ्य और पढ़ाई पर असर पड़ा है. एक छात्र ने बताया, "यहां बहुत मच्छर होते हैं और बदबू आती है. मेरे कई दोस्तों को डेंगू हो गया है. "

आस-पास के लोगों को भी हो रही परेशानी

इस स्कूल की गंदगी सिर्फ बच्चों की ही नहीं बल्कि आसपास के निवासियों की भी बड़ी समस्या बन चुकी है. स्थानीय निवासी गोविंद सिंह यादव ने कहा, "स्कूल के साथ-साथ पूरे इलाके में डेंगू और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. नगर पालिका की लापरवाही से लोग परेशान हैं. "

रिंकू विश्वकर्मा एक दूसरी स्थानीय निवासी ने कहा, "यह समस्या सिर्फ स्कूल की नहीं है बल्कि पूरे इलाके की है. यहां की गंदगी से बच्चे और बड़े सभी प्रभावित हो रहे हैं. "

MP में कैसे होगा शिक्षा का विकास ?

इस स्कूल की बदतर स्थिति न केवल स्थानीय प्रशासन की विफलता को उजागर करती है बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है. मध्य प्रदेश सरकार जहां 'स्कूल चले हम' अभियान पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है.... वहीं विदिशा के इस सरकारी स्कूल की हालत देखकर ऐसा लगता है कि यह अभियान सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है.

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क्या है MP के स्कूलों का हाल ?

मध्य प्रदेश के 7189 स्कूलों को मरम्मत की जरूरत है जबकि 47 जिलों के 6838 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है. यह स्थिति बताती है कि शिक्षा का अधिकार केवल एक नारा बनकर रह गया है जबकि जमीनी हकीकत बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. विदिशा के इस सरकारी स्कूल की समस्या केवल एक स्कूल की नहीं है, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र की विफलता का उदाहरण है. मध्य प्रदेश सरकार भले ही स्कूल चले हम अभियान पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो लेकिन जमीनी हकीकत इन सबसे बिल्कुल जुदा है. आज माध्यमिक शाला पेड़ी स्कूल में गंदगी के कारण हर साल बच्चों की संख्या गिरती जा रही है.

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