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MP Soybean Price: सोयाबीन की खरीदी देर से शुरू होने से किसानों की बढ़ी चिंता, कम दाम पर उपज बेचने को हैं मजबूर

Soybean Bhav: मध्य प्रदेश में सोयाबीन एमएसपी तय होने के बाद भी किसानों की परेशानी कम होती नजर नहीं आ रही है. दरअसल, यहां पटवारियों ने किसानों की फसलों की गिरदावरी ही तैयार नहीं की है, जिसकी वजह से किसान फसल बेचने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन ही नहीं करा पा रहे हैं.

MP Soybean Price: सोयाबीन की खरीदी देर से शुरू होने से किसानों की बढ़ी चिंता, कम दाम पर उपज बेचने को हैं मजबूर

Soyabean MSP Madhya Pradesh: केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार सोयाबीन के लिए 4890 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय की है. सरकार के इस ऐलान से किसानों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन अब तक खरीदी शुरू नहीं होने से किसान अपनी उपज एमएसपी से कम कीमत में खुले बाजार में बेचने को मजबूर हो रहे हैं. दरअसल, खरीफ की फसलों में बोई जाने वाली सोयाबीन की फसल बाकी के सभी फसलों की अपेक्षा जल्दी पक जाती है, लेकिन इस बार किसानों की सोयाबीन की उपज घर में पहुंचने के बाद अभी तक समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू नहीं हो सकी है. देरी से पंजीयन प्रक्रिया शुरू होने से अभी तक मात्र 128 किसानों ने ही समर्थन मूल्य पर सोयाबीन बेचने के लिए अपना पंजीयन कराया है. इस बीच समय पर खरीदी शुरू नहीं होने से किसान खुली मंडी और व्यापारियों को अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं.

गिरदावरी नहीं होने से भटक रहे हैं किसान

दरअसल, छतरपुर जिले में इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक रकबे में सोयाबीन की खेती की गई थी. यहां कुल  24 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की गई थी. सोयाबीन की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने के लिए जिला प्रशासन ने 15 खरीदी - केंद्र बनाए हैं, लेकिन जिले में गिरदावरी नहीं हुई है. इस कारण से किसान पंजीयन नहीं करा पा रहे हैं. दरअसल, इस मामले में पटवारियों की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. इसकी वजह से चार पंजीयन केंद्रों में पंजीयन शुरू ही नहीं हो पाया है. इसके अलावा, कहीं पोर्टल की गड़बड़ी, तो कहीं फॉर्म नहीं आने के कारण 2 केंद्रों में एक भी पंजीयन नहीं हो पाया है. इसके अलावा, दो केंद्रों में मात्र एक-एक पंजीयन हुए हैं, जबकि इसके लिए 20 अक्टूबर  अंतिम तारीख निर्धारित की गई थी.

यहां बनाए गए हैं केंद्र

वहीं, छतरपुर जिले के उप संचालक कृषि डॉ. केके वैद्य का कहना है कि जिले में सोयाबीन उपार्जन के लिए सेवा सहकारी समिति ढिकौली, सेवा सहकारी समिति बढ़ामलहरा, सेवा सहकारी समिति मेलवार, सेवा सहकारी समिति बंधा, सेवा सहकारी समिति बिजावर, सेवा सहकारी समिति देवरा, सेवा सहकारी समिति बम्हौरी, सेवा सहकारी समिति सुनवाहा, सेवा सहकारी समिति घुवारा, सेवा सहकारी समिति भगवां, सेवा सहकारी समिति नौगांव, सेवा सहकारी समिति मुंडेरी, सेवा सहकारी समिति बगौता, सेवा सहकारी समिति माधौपुर, सेवा सहकारी समिति बसारी को केंद्र बनाया है. इन केंद्रों पर जाकर कृषक 20 अक्टूबर तक पंजीयन करा सकते हैं.

किसान 60% उपज बेचने के लिए हैं पात्र

दरअसल, गिरदावरी के जरिए किसानों को फसल बीमा और उपार्जन जैसी योजनाओं में फायदा मिलता है. गिरदावरी में किसानों की जमीन के कुल क्षेत्रफल में बोई गई फसल का नाम दर्ज किया जाता है. इसके लिए पटवारी गांव के भूमि मालिकों और सिकमी/बटाईदार और वन पट्टाधारी किसानों की मौजूदगी में जमीन का निरीक्षण करता है, जिसमें कुल रकबे में बोई गई फसल ऑनलाइन दर्ज कराई जाती है. इसके लिए किसान का नाम, खेत का सर्वे नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करना होता है. गिरदावरी होने के बाद ही वह अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन करा सकता है. वैसे तो एक हेक्टेयर जमीन में 16 क्विंटल सोयाबीन की उपज होती है. उपज का 60 प्रतिशत किसान समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पात्र होता है.

त्योहार मनाने के लिए किसान बेच रहे हैं फसल

ग्राम बसारी में पप्पू यादव ने बताया कि जल्दी पकने वाली वैरायटी की सोयाबीन फसल की उपज किसानों के घरों में आ गई है. ऐसे में छोटे किसान अधिक समय तक उपज का स्टॉक अपने घरों में नहीं कर सकते हैं, लेकिन खरीदी चालू नहीं होने की वजह से वह मजबूरन अपनी उपज कम दाम में खुले बाजार में बेचने को मजबूर हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें फसल कटाई के दौरान लगाए गए मजदूरों और थ्रेसर का भुगतान करना है. वहीं, दशहरा और दिवाली का त्यौहार नजदीक है. ऐसे में  किसान उपज बेचने के लिए अधिक इंतजार नहीं कर सकते.

पटवारियों ने नहीं की गिरदावरी

किसान सोयाबीन पंजीयन के लिए एमपी ऑनलाइन एप से भी पंजीयन करा सकते हैं. साथ ही किसान शुल्क पंजीयन एमपी. ऑनलाइन कियोस्क, कॉमन सर्विस सेंटर कियोस्क, लोक सेवा केंद्र और निजी व्यक्तियों के जरिए संचालित साइबर कैफे पर भी पंजीयन करा सकते हैं. उपार्जन के लिए किसानों को पंजीयन करने के लिए निर्धारित प्रपत्र में आवेदन, समग्र आईडी, भू-अधिकार पुस्तिका, खसरा, वन अधिकार पट्टा की प्रति, बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर की जानकारी देना  अनिवार्य होता है. पंजीयन से पहले फसल की गिरदावरी जरूरी है, लेकिन पटवारियों ने अब तक गिरदावरी नहीं की है. इस कारण किसान परेशान हैं.

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किसानों को किया जा रहा जागरूक

 हालांकि, इस पूरे मामले पर छतरपुर के जिला खाद्य अधिकारी सीताराम कोठारे का कहना है कि  जिले में बनाए सभी केंद्रों में पंजीयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. कुछ केंद्रों में टेक्निकल इश्यू आ रहे थे, जिसका समाधान करते हुए किसानों के पंजीयन कराने की शुरुआत कर दी गई है. साथ ही किसान अधिक संख्या में पंजीयन कराएं, इसके लिए किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है.

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