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This Article is From Jan 16, 2024

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बढ़ रहे हैं बिगड़ैल बाघ, आजादी की जगह 'कैद' का जिम्मेदार कौन?

टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश में ही बाघ अजीब समस्या का सामना कर रहे हैं. यहां उनके इलाके घट रहे हैं और वन विभाग के कुप्रबंधन के चलते बेजुबान जानवरो को कैद की सजा मिल रही है. मामला राज्य के नंबर वन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का है. यहां मंगलवार को पतौर व पनपथा रेंज के बीच फिर एक युवा बाघिन को बकेली गांव में पकड़कर इंक्लोजर में डाल दिया गया.

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बढ़ रहे हैं बिगड़ैल बाघ, आजादी की जगह 'कैद' का जिम्मेदार कौन?

Bandhavgarh Tiger Reserve News: टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश में ही बाघ अजीब समस्या का सामना कर रहे हैं. यहां उनके इलाके घट रहे हैं और वन विभाग के कुप्रबंधन के चलते बेजुबान जानवरो को कैद की सजा मिल रही है. मामला राज्य के नंबर वन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का है. यहां मंगलवार को पतौर व पनपथा रेंज के बीच फिर एक युवा बाघिन को बकेली गांव में पकड़कर इंक्लोजर में डाल दिया गया. दो माह पहले भी बाधिन कजरी को ऐसे ही पकड़ कर इंक्लोजर में डाला गया था. पिछले साल भी 11 बाघों को भी ऐसी सी सजा मिली थी. वन विभाग का कहना है कि आबादी क्षेत्र में घुसने और उनके व्यवहार के आंकलन के बाद ये कदम उठाए जाते हैं. 

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अब तक 11 को मिली कैद की सजा

बांधवगढ़ में पतौर-पनपथा की इस युवा बाघिन के साथ ही पिछले एक साल में 11 बाघों का रेस्क्यू अलग-अलग कारणों से इनक्लोजर में भेजा गया है. इनमें से पांच बेहरहा इंक्लोजर में हैं. चंद रोज पहले दो बाघों को वन विहार भेजा गया है. विभाग का कहना है कि ये बाघ आदमखोर हो गए थे और जानवरों का भी शिकार कर रहे थे. 

बढ़ रहा आक्रोश, मारे जा रहे बाघ

1536 वर्ग किमी.में फैले बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के नौ रेंज में लगातार इंसानों पर बाघ हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं. बकेली उमरिया गांव में पतौर व पनपथा से लगे गांवों में तीन ग्रामीणों पर हमला हुआ. इससे ग्रामीण आक्रोशित हैं. दूसरी तरफ घटते जंगल और टैरेटरी के चक्कर में बाघों की लड़ाईयां अधिक होने से भी उनकी मौतें हो रही हैं. साल 2023 से लेकर अब तक 13 बाघों की मौत हुई है. इसके पूर्व 2021 व 22 में यह आंकड़ा 10 के आसपास ही था.  इनमें अधिकतर कारण वर्चस्व की लड़ाई को बताया गया.

बांधवगढ़ के वन क्षेत्र में क्षमता से थोड़ा अधिक बाघों की मौजूदगी है. यहां के बाघ पर्याप्त पानी,परिवेश व जंगल की उपलब्धता में कम टेरेटरी में भी पाए जाते हैं. चूंकि आसपास ग्रामीण क्षेत्र में बाघ मूवमेंट को प्रभावित करने वाली चीजें उपलब्ध है, यही कारण है कि युवा बाघ व अन्य वहां चले जाते हैं. 

पी के वर्मा

उपसंचालक, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 

 जाहिर है इस मुद्दे पर यदि सरकार ने गंभीर से कदम नहीं उठाया तो टाईगर स्टेट का तमगा भी दांव पर लग सकता है. 

ये भी पढ़ें: मध्यप्रदेश के कूनो में एक और चीते 'शौर्य' की मौत, अब तक 10 चीतों की गई जान

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