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This Article is From May 09, 2024

बताइए! ठेले पर चल रही है कृषि उपज मंडी की किसान कैंटीन, पीने के लिए पानी तक नसीब नहीं 

Madhya Pradesh: कृषि उपज मंडी में बहुत सारी अव्यवस्थाएं है. यहां पर पानी की टंकी तो लगी है, लेकिन पीने के लिए पानी नही है. इसको लेकर किसान से लेकर मजदूर तक हर वर्ग परेशान है..

बताइए! ठेले पर चल रही है कृषि उपज मंडी की किसान कैंटीन, पीने के लिए पानी तक नसीब नहीं 
कृषि उपज मंडी की कैंटीन पर लटका है ताला

Agriculture Market Irregularity: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) जिले के कृषि उपज मंडी परिसर (Agricultural Produce Market Complex) में अव्यवस्थाओं की भरमार है. यहां किसान, मजदूर हर वर्ग परेशान हैं. किसानों को जहां पानी और भोजन की सुविधा नहीं मिल पा रही, वहीं तुलावटी और रेजरओं को उनके मेहनताने का सही दाम नहीं मिल पा रहा... स्थिति यह है कि किसानों (Farmers) को सस्ते दर पर भोजन देने वाली कैंटीन ठेले पर संचालित हो रही है. जहां पूड़ी-सब्जी की जगह ब्रेड पकौड़ा और समोसा ही मिल रहा है.

कृषि उपज मंडी

कृषि उपज मंडी

जबकि, अनुबंध कटने के साथ ही किसानों को यह बताया जाता है कि उन्हें भोजन की व्यवस्था कैंटीन में मिलेगी. जब किसान अपना अनाज बेचने के बाद कैंटीन का रुख करता हैं, तो वहां अमूमन ताला ही मिलता है. इसके बाद उसे ठेले वाली कैंटीन (Canteen) का पता चलता है. जहां पर बेहद गंदगी के बीच भोजन मिल पाता है.

ठेले पर काम करने वाले ने बताया सच

कैंटिन की जगह ठेले पर काम करने वाले ने बताया कि इसका ठेका किसी मिश्रा जी के नाम पर है और संचालन ठाकुर साहब कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कैंटीन काफी अंदर पड़ता है जिससे कोई किसान पहुंच नहीं पाता है. ऐसे में वह दिशा दिखाने के लिए यहां कैंटीन चला रहे हैं. इस बारे में जब कृषि उपज मंडी के सचिव करुणेश तिवारी से बात की गई तो उन्होंने इस अव्यवस्था पर कहा कि कैंटीन का स्थान पीछे है. किसान अपनी उपज की रखवाली करने में व्यस्त हो जाता है, जिससे वह कैंटिन तक पहुंच नहीं पाता. कई बार खाना बनने के बाद भी फेंकना पड़ता है. इसलिए ऐसी व्यवस्था में कैंटिन चलाई जा रही है.

कृषक मंडी भोजनालय

कृषक मंडी भोजनालय

आठ साल से नहीं बढ़ी मजदूरी

कृषि उपज मंडी में काम करने वाले तुलावटियों के अनुसार, पिछले आठ सालों में यहां पर पल्लेदारी की दर नहीं बढ़ी है. यहां आज भी पांच रुपए प्रति बोरा की दर से भुगतान किया जाता है. 18 घंटे तक काम करने के बाद भी बड़ी मुश्किल से 300-400 रुपए ही मिल पाते हैं. यहां पर पिछले आठ सालों से रेट में कोई इजाफा नहीं किया गया. जबकि नजदीकी जिलों में अधिक रेट मिल पा रहे हैं. तुलाबटी का काम करने वालों की मानें तो कई बार आवेदन दिया गया. इसके बाद भी दर नहीं बढ़ाई गई. मंडी सचिव ने आचार संहिता की आड़ लेते हुए कहा कि दर बढ़ाने का निर्णय समिति लेती है. दर नहीं बढ़ाने की बात गलत है. उनकी मानें तो 2020 में इसकी दर बढ़ाई गई थी. 

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वॉटर कूलर बने शो-पीस

कृषि उपज मंडी में तमाम तरह की अव्यवस्थाएं हैं. इनमें से एक पानी की समस्या भी प्रमुख है. सतना जिले का तापमान इन दिनों 43 डिग्री के आसपास पहुंच रहा है. वहीं, कृषि उपज मंडी के प्रांगण में पानी की कोई सुविधा मौजूद नहीं है. यहां पर किसानों और पल्लेदारों के लिए पेयजल उपलब्ध कराने के दावे तो तमाम हैं. चबूतरा-दर-चबूतरा वॉटर कूलर लगाए गए हैं. लेकिन. अधिकांश की टोंटियां गायब हैं. पानी भी बेहद गंदा और गरम रहता है. जबकि, अधिकारी का दावा है कि इसकी नियमित साफ-सफाई कराई जाती है.

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