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Eye Bank: 10 साल से बंद आई बैंक फिर शुरु, ग्वालियर-चंबल के नेत्रहीनों के जीवन में आएगा उजियारा

Eye Bank: 22 अप्रैल 2015 को अमृता गंभीर की मौत के बाद उनके परिजनों ने आंखें दान की थीं. पुलिस ने दान की गई आंखों को कचरे के ढेर में फेंकने के मामले में नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ यूएस तिवारी और कार्निया यूनिट के इंचार्ज डॉ डीके शाक्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. तब से यहां का आई बैंक बंद पड़ा था.

Eye Bank: 10 साल से बंद आई बैंक फिर शुरु, ग्वालियर-चंबल के नेत्रहीनों के जीवन में आएगा उजियारा
Eye Bank Gwalior: 10 साल बाद फिर शुरु होगा आई बैंक

Eye Donation: एक दशक बाद ग्वालियर में गजराराजा मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अंचल के सबसे बड़े जयारोग अस्पताल में नेत्र दान के लिए आई बैंक शुरू होगा. 10 साल पहले दान की गईं कुछ आँखे कचरे के ढेर में मिलने की सनसनीखेज घटना के बाद यहां के आई बैंक को बंद कर दिया गया था, तब से अंचल में नेत्रदान का काम बंद पड़ा था जो अब एक बार फिर शुरू होने जा रहा है. गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ आर के एस धाकड़ ने एनडीटीवी से ख़ास बातचीत में बताया कि यह मप्र का सबसे पुराना चिकित्सा महाविद्यालय हैं. इसके अंतर्गत बहुत बड़ा एरिया आता है. लोग उम्मीद रखते हैं और हमारी जिम्मेदारी है कि यहाँ उच्च स्तर की सभी सुविधाएँ उपलब्ध हों.

टीम का गठन हुआ

गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन ने कहा कि "मेरे संज्ञान मे आया कि हमारे नेत्र रोग विभाग का जो आई बैंक है, वह कुछ वर्षों से बंद पड़ा है. अब हमने विभागध्यक्ष को निर्देशित किया है कि इसे तत्काल शुरू कराया जाए. इसके लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति के साथ नेत्रदान टीम का भी गठन कर दिया ताकि जहां भी नेत्रदान करने वाला है, वहां टीम तत्काल पहुंचे और वहां से कॉर्निंया रिट्रेट कर उसे संरक्षित करे. उसके बाद हमारे अस्पताल के अलावा भी जहाँ-जहाँ आवश्यकता हैं, वहां उन्हें नियमानुसार उपलब्ध कराये.

पिछले बार हुए दुःखद घटनाक्रम पर डॉ धाकड़ कहते हैं कि मैं पुराने विषय पर चर्चा नहीं करूंगा लेकिन मेरा मानना है कि कोई घटना हो गई है तो उसकी वजह से हम कार्य बंद नहीं कर सकते. कार्य तो जारी रहेगा. उस समय किसकी गलती थी, क्या लापरवाही थी? वह अलग विषय है. इस काम में सबकी जिम्मेदारी तय है. इसके लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है ताकि गुणवत्ता पूर्ण काम हो.  

अप्रैल 2015 ग्वालियर में दान की गई आंखों को कचरे के ढेर में फेंकने का मामला सामने आया था. इस केस में पुलिस ने दो डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. यह मामला ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल से जुड़ा है.

उस समय क्या हुआ था?

22 अप्रैल 2015 को अमृता गंभीर की मौत के बाद उनके परिजनों ने आंखें दान की थीं. पुलिस ने दान की गई आंखों को कचरे के ढेर में फेंकने के मामले में नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ यूएस तिवारी और कार्निया यूनिट के इंचार्ज डॉ डीके शाक्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इस मामले में डॉक्टरों पर अमानत में खयानत और धोखाधड़ी का आरोप लगा था. पुलिस ने यह भी बताया कि केस दर्ज होने से पहले  तीन दिन पहले मेडिकल कॉलेज के कचरे के ढेर में दान की गई आंखों के साथ किशन गंभीर नामक एक फरियादी को भी गिरफ्तार किया गया था. हालांकि बाद में इस मामले को साक्ष्य के अभाव मे बंद कर दिया गया, लेकिन उस समय से जेएएच की नेत्र बैंक बंद ही पड़ा है जो अब शुरू होने जा रहा है.

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