मध्यप्रदेश के खेतों में कुछ दिनों पहले हरियाली आई थी लेकिन वो एक महीने में ही मुरझा गई. किसान दुखी हैं और राहत की आस सरकार और भगवान दोनों से लगाए बैठे हैं.सरकार राहत देने की भरसक कोशिश करती हुई दिखाई दे भी रही है लेकिन विपक्ष की मानें तो राज्य में किसान बिल्कुल बेहाल हो चुके हैं. हालात ऐसे हैं कि खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बारिश के लिए महाकाल के दरबार में अर्जी लगा चुके हैं. उनका कहना है कि अगस्त माह पूरा सूखा गया है, राज्य में सूखे की स्थिति पैदा हो गई है. फसलों पर संकट छाया है इसलिए महाकाल से बारिश कराने का आग्रह किया है. ऐसे में सबसे पहले बात मौसम के बेरुखी की कर लेते हैं.
ये आंकड़े ये बताने के लिए काफी हैं कि राज्य में बारिश के हालात कितने बदतर हैं. इसका सबसे ज्यादा असर सोयाबीन की खेती पर पड़ा है. बड़ी बात ये है कि पूरे देश में मध्यप्रदेश सोयाबीन के उत्पादन में पहले नंबर पर है लेकिन इस बार ये तमगा खतरे में पड़ सकता है. सिंचाई के लिए पानी न होने की वजह से कई जगहों पर हालात ऐसे हो गए किसानों खुद ही खड़ी फसल को ट्रैक्टर से जोत दिया. सबका कहना है सिंचाई के लिये पानी नहीं है ऐसे में और मेहनत का कोई फायदा नहीं है.
अब हालात ये हैं कि खुद राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मान रहे हैं कि हालात गंभीर है. उनका कहना है कि राज्य में सूखे जैसे हालात बन रहे हैं. बारिश नहीं होने की वजह से राज्य में बिजली की डिमांड करीब-करीब दो गुनी हो गई है. उनका दावा है कि विपरीत परिस्थितियों में भी वो किसानों को राहत दिलाने की कोशिश कर रहे हैं.
शिवराज सिंह चौहान
दूसरी तरफ कांग्रेस की मांग है सरकार किसानों को फौरन मुआवजा दे. प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता विवेक तन्खा ने खेतों में जाकर हालात का जायजा लिया. दूसरी तरफ राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि जिस प्रदेश में 20 सालों से एक ही मुख्यमंत्री हो वहां ऐसे हालात बेहद चिंतनीय हैं. न सिर्फ घरेलू बल्कि औद्योगिक उपभोक्ता भी सरकार से नाराज हैं. उन्हें चुनावों में इसकी कीमत चुकानी होगी.
जीतू पटवारी
राज्य में किसानों की हालत पर सियासी फसल काटने की कोशिश हर संबंधित पक्ष कर रहा है लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि इन हालातों में किसानों को राहत कब और कैसे मिलेगी? मौसम की बेरूखी पर तो किसी का बस नहीं है लेकिन क्या जो सरकार और विपक्षी दल कर सकते हैं वो भी हो रहा है क्या?
ये भी पढ़ें: मध्यप्रदेश में सोयाबीन के फसल पर पड़ी मौसम की मार, 15% तक गिरेगा उत्पादन