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This Article is From Jan 19, 2024

नाले के पानी से बुझाई जा रही प्यास, बूंद-बूंद के लिए तरस रहे सिंगरौली के लोग... कोई सुनवाई नहीं

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के आदिवासी बैगा समाज के लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. जयंत गोलाई बस्ती के सैकड़ों आदिवासी पिछले कई सालों से बलिया नाला के गंदे पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं. स्वच्छ पानी के अभाव में उन्हें और उनके बच्चों को वही पानी पीना पड़ता है.

नाले के पानी से बुझाई जा रही प्यास, बूंद-बूंद के लिए तरस रहे सिंगरौली के लोग... कोई सुनवाई नहीं

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में देश की नवरत्न कंपनी में से एक NCL पिछले कई सालों से इलाके की पहाड़ियों से कोल खनन कर रही है. इससे NCL के साथ-साथ सरकार को भी अच्छी-खासी आमदनी हो रही है, लेकिन इस इलाके के आदिवासी बैगा समाज के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए पिछले कई सालों से जूझ रहे हैं और इनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है. कोयले की काली राख व प्रदूषण के दंश से जहां लोग परेशान हैं वही जिले के दूधिचुआ NCL खदान के आसपास मौजूद करीब 400 के आदिवासी बैगा समाज के लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. जयंत गोलाई बस्ती के सैकड़ों आदिवासी पिछले कई सालों से बलिया नाला के गंदे पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं. 

आदिवासी बैगा समाज के लोगों की दर्दनाक कहानी

शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से हैंडपंप के लिए कई बार गुहार लगाने के बावजूद भी उनकी एक भी सुनवाई नहीं हुई. लिहाजा, सैकड़ों रहवासी इस गंदे पानी को पीकर मजबूरी में अपनी जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.और इलाके के रहवासी कई बीमारियों की चपेट में है. मामले को लेकर NDTV ने इस इलाके में जाकर लोगों का हाल जानने की कोशिश की. इस जिले में रहने वाले लोगों की तकलीफें जानकर रूह कांप जाएगी. दरअसल, MP का सिंगरौली जिला कोयले की खदानों का धरती पर बड़े भंडारों में से एक है. जब आप उर्जाधानी सिंगरौली जिले का दौरा करेंगे तो आपको सड़क के किनारे दूर-दूर तक कोयले की खदानें नजर आएंगी. प्रत्येक व्यक्ति का चेहरे किसी कपड़े से ढंका हुआ नजर आएगा.

बूंद-बूंद के लिए तरस रहे सिंगरौली के लोग

बूंद-बूंद के लिए तरस रहे सिंगरौली के लोग

सालों से गंदे पानी के जरिए बुझा रहे अपनी प्यास 

NDTV की टीम ने एमपी के सिंगरौली जिले की खदानों के आस-पास रह रहे लोगों से कोयला खनन का उनके जीवन पर पड़ने वाले असर को लेकर बातचीत की. जिले में ऐसे कई गांव हैं जो कोयले की खदानों के आस-पास बसे हुए हैं. इनमें से ज्यादातर लोग आदिवासी हैं. NDTV की टीम ने सिंगरौली जिले के भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी NCL जयंत इलाके का दौरा किया, गांव के लोगों ने जो आपबीती बताई वह रूह कंपा देने वाली थी. जयंत गोलाई बस्ती इलाके की एक महिला बसंती ने हमें पानी का वो स्रोत दिखाया जिससे इलाके के लोग पानी पीते हैं. जब टीम ने वह पानी अपने हाथों में लिया तो पूरा बदन ठंडा पड़ गया. कोयले की राख से वो पानी पूरी तरह से काला पड़ चुका था.

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वादे तो खूब हुए लेकिन किसी कोई नहीं सरोकार

उन्होंने बताया कि वो लोग इसी पानी से कपड़े धोते हैं, नहाते हैं और पानी पीते हैं. स्वच्छ पानी के अभाव में उन्हें और उनके बच्चों को वही पानी पीना पड़ता है. बता दें कि कोयला खनन करने वाली कंपनी NCL से यहां के लोगों को स्वच्छ पानी प्रदान करने के लिए कहा गया है, लेकिन NCL को केवल खनन से मतलब है लोगों की जिंदगी से नहीं. स्थानीय लोगों ने बताया कि खनन कंपनी उनके साथ स्वच्छ पानी मुहैया कराने का करार करती हैं, लेकिन उसपर अमल नहीं करतीं और हमें हमारे हालात पर छोड़ जाती हैं.

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