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मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल देने वाला जिला मंत्री पद के लिए मोहताज, क्षेत्र के विकास में पड़ रहा असर

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण बाद मंत्री पद को लेकर सीधी जिले की उम्मीदें टिकीं हैं. मंत्री पद को लेकर यहां से सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. मंत्री पद की रेस में दो बार की सांसद रीति पाठक और कुंवर सिंह टेकाम जैसे नाम रेस में शामिल हैं.

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मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल देने वाला जिला मंत्री पद के लिए मोहताज, क्षेत्र के विकास में पड़ रहा असर
कुंवर अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैंं, जबकि इंद्रजीत कुमार पटेल कांग्रेस में मंत्री रहे हैं.

Neglect of Sidhi in Madhya Pradesh Government: मध्य प्रदेश में बीजेपी (BJP) के 20 वर्षों के शासनकाल में उपेक्षित सीधी (Sidhi) जिला राज्य सरकार में मंत्री पद (Minister Post) के लिए तरस रहा है. एक समय था जब सीधी से प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल (Governor) और कैबिनेट मंत्री (Union Minister) जैसे तमाम पद होते थे. लेकिन, अब यह एक सपने के समान दिखने लगा है. कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री (Chief Minister) देने वाला सीधी जिला बीजेपी सरकार में मंत्री पद के लिए उपेक्षा (Neglect) का शिकार है. सीधी संसदीय क्षेत्र की 7 विधानसभा सीटों से जीते उम्मीदवार मंत्री पद के लिए तरस रहे हैं. इसके लिए विधायक संगठन के सामने भोपाल से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं.

तीन बार मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह

सीधी जिले के चुरहट विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कुंवर अर्जुन सिंह तीन बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें एक बार पंजाब का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. वे केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री भी रहे हैं. इस दौरान अर्जुन सिंह ने देश में विकास की नई इबारत लिखी. अर्जुन सिंह के बाद सीधी जिले के नेताओं के लिए मुख्यमंत्री पद तो दूर की बात है, उन्हें मंत्री पद तक के लिए तरसना पड़ रहा है.

विकास से कोसों दूर सीधी

विकास की बात करें तो सीधी जिला विकास से कोसों दूर है. सीधी के आसपास के जिलों में तेजी से विकास हुआ, लेकिन यहां आज भी विकास नहीं हो सका है. पुराना जिला होने के बाद भी मेडिकल कॉलेज, उद्योग धंधे, शहर का विकास, खेल मैदान, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आज भी सीधी कोसों पीछे है. यहां सब्जी मंडी, गल्ला मंडी और बाईपास रोड जैसी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं. जिन्हें पूरा करने के लिए सीधी को मंत्री जैसे पद मिलने की बेहद जरूरत है. जिले के सांसद और विधायकों की आपसी खींचतान भी विकास में रोड़ा बन रही है. जनप्रतिनिधियों का आपस में तालमेल न होना सीधी के लिए घातक रहा है.

कांग्रेस सरकार में कई मंत्री, बीजेपी में कोई नहीं

मध्य प्रदेश की राजनीति में सीधी जिले की अलग पहचान रही है. प्रदेश स्तर पर हमेशा ही राज्य सरकार में सीधी को महत्व मिलता रहा है और मंत्री पद भी मिला है. लेकिन, यह बात 20 साल पुरानी हो गई है. कांग्रेस की पूर्व की सरकारों में सीधी से कई मंत्री हुआ करते थे. जिसमें से एक नाम अजय सिंह राहुल का है, जो कि चुरहट विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे हैं, जबकि दूसरा नाम सीधी विधानसभा क्षेत्र से इंद्रजीत कुमार का शामिल है. इनके अलावा कमलेश्वर पटेल और कमलेश्वर द्विवेदी को कांग्रेस की अलग-अलग सरकारों में मंत्री बनाया गया था.  2003 से प्रदेश में बीजेपी की सरकार लगातार रही है, इस दौरान सीधी को राज्य सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका. जिससे यह जिले अन्य जिलों की अपेक्षा पिछड़ता गया.

अजय सिंह और कमलेश्वर पटेल कांग्रेस की अलग-अलग सरकारों में मंत्री रहे हैं.

अजय सिंह और कमलेश्वर पटेल कांग्रेस की अलग-अलग सरकारों में मंत्री रहे हैं.

इस बार मंत्री पद मिलने की है उम्मीद

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण बाद मंत्री पद को लेकर सीधी जिले की उम्मीदें टिकीं हैं. मंत्री पद को लेकर यहां से सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. मंत्री पद की रेस में दो बार की सांसद रीति पाठक और कुंवर सिंह टेकाम जैसे नाम रेस में शामिल हैं. रीति पाठक सीधी विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बनी हैं जबकि कुंवर सिंह टेकाम धौहनी विधानसभा क्षेत्र से जीत का चौका लगाने में सफल रहे हैं. वहीं सिहावल विधानसभा क्षेत्र से विश्वामित्र पाठक दूसरी बार विधायक बने हैं. ऐसे में किसकी दावेदारी कितनी मजबूत है यह मंत्री पद के बंटवारे के दिन ही स्पष्ट होगा.

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