Gwalior News: कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता (Senior Leader), पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister of Madhya Pradesh) और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) शुक्रवार 24 मई को ग्वालियर (Gwalior) पहुंचे थे. एयरपोर्ट पर राज्यसभा सांसद अशोक सिंह सहित कांग्रेस के नेताओं ने उनकी अगवानी की. उन्होंने जय विलास पैलेस (Jai Vilas Palace Gwalior) में दिवंगत राजमाता माधवी राजे को श्रद्धांजलि अर्पित की उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और महाआर्यमन सिंधिया (Mahanaryaman Scindia) को सांत्वना प्रदान की. मीडिया से भी मिले लेकिन राजनीतिक सवालों पर चुप्पी साधे रखी.
बृजेन्द्र तिवारी से मिलने पहुंचे
दिग्गी राजा सबसे पहले सड़क मार्ग से सीधे पूर्व विधायक और वरिष्ठ समाजवादी नेता वृजेन्द्र तोमर के गश्त का ताजिया स्थित निवास पर पहुंचे और उनका हालचाल जाना. तिवारी कुछ समय से अस्वस्थ्य चल रहे हैं. यहां से दिग्विजय सिंह मध्य भारत खादी ग्रामोद्योग दफ्तर पहुंचे, जहां उनका समिति से जुड़े लोगों ने स्वागत किया. इसके बाद उन्होंने वहां चल रहे कार्यकलापों का अवलोकन किया और उनके काम की सराहना की.
लंबे अरसे बाद जय विलास पहुंचे दिग्विजय
इसके बाद सिंह सीधे जय विलास पैलेस पहुंचे और वहां पहुंचकर दिवंगत माधवी राजे के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. दिग्विजय सिंह 2020 में सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में जाने के बाद पहली बार जय विलास पैलेस पहुंचे. हालांकि यह दौरा भी राजनीतिक नहीं पारिवारिक था.
सियासी सवालों पर साधी चुप्पी
दिग्विजय सिंह से मीडिया ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि मैं ग्वालियर आया हूं, स्वर्गीय राजमाता के देहांत पर श्रद्धांजलि देने और ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके परिवारजनों से मिलने के लिए. जब उनसे बीजेपी के चार सौ पार के नारे को लेकर सवाल पूछा तो वे जवाब दिए बगैर ही आगे बढ़ गए.
माधव राव के निधन पर दिग्विजय ने ही संभाली थी पूरी व्यवस्था
30 सितम्बर 2001 को जब कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया का एक विमान दुर्घटना में असामयिक निधन हो गया था उस समय दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे. निधन की सूचना मिलते ही दिग्विजय सिंह भोपाल से तत्काल ग्वालियर पहुंच गए थे. माधवराव सिंधिया के अंतिम संस्कार से लेकर बाकी सभी तैयारियां भी उन्होंने अपनी देखरेख में करवाई थी. वे 13 दिनों तक यहीं रुके थे और बगैर जूता-चप्पल के ही सक्रिय रहे थे. हालांकि उनके और सिंधिया के बीच सियासी रिश्ते कभी भी अच्छे नहीं रहे थे.
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