
MP News: जबलपुर में गेहूं खरीदी का सीजन भले ही शुरू हो चुका है, लेकिन बीते खरीफ सत्र में धान बेच चुके किसानों की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. जिले में लगभग 300 किसान ऐसे हैं, जिन्होंने सरकारी समर्थन मूल्य पर अपनी धान समितियों के माध्यम से बेची थी. अब तक इन्हें अपनी फसल की कीमत के लगभग 5.30 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हो पाया है.
किसानों की व्यथा यह है कि उन्होंने सरकार के भरोसे अपनी मेहनत की कमाई मंडियों और समितियों को सौंपी थी. अब जब किसी के घर में शादी है, किसी को इलाज के लिए पैसे की सख्त जरूरत है, तो उनके पास अपनी ही फसल की कीमत लेने के लिए रकम नहीं है.
समितियों पर घोटाले का आरोप
जबलपुर जिले में धान खरीदी में बड़े पैमाने पर घोटाले का मामला सामने आया है.आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) इस प्रकरण की जांच कर रहा है. कई सहकारी समितियों पर यह आरोप है कि उन्होंने रिकॉर्ड में हेरफेर कर फर्जी धान खरीदी दिखाई और सरकार से रकम वसूल कर ली.
किसान भुगत रहे खामियाजा
इस, घोटाले का असर सीधे उन किसानों पर पड़ रहा है, जिन्होंने ईमानदारी से फसल बेचकर अपनी बकाया राशि का इंतजार किया. जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि सरकार ने जितनी धान खरीदी का रिकॉर्ड दिखाया गया था, उसका पूरा भुगतान समितियों को कर दिया है. अब जिन किसानों की रकम अटकी है, वो तब तक नहीं मिल सकेगी जब तक घोटालेबाज समितियों से वसूली पूरी नहीं हो जाती.
पीड़ित किसान के पैसे ले गए घोटालेबाज
स्थिति यह बन गई है कि जिन्होंने घोटाला किया, उन्होंने तो पैसे भी ले लिए, जबकि सही ढंग से फसल बेचने वाले किसान अब भी सरकारी दफ्तरों और समितियों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.
किसानों का कहना है कि सरकार को फौरन हस्तक्षेप कर ईमानदार किसानों का बकाया भुगतान करना चाहिए, ताकि उनकी मौजूदा आर्थिक और पारिवारिक मुश्किलें कुछ कम हो सकें. जांच और वसूली की प्रक्रिया में लगने वाला समय उनके जीवन में और तकलीफ बढ़ा रहा है.