Umariya MP: आदिवासी बाहुल्य उमरिया जिले में बरसात के सीजन में एक खास सब्जी की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. इस सब्जी का नाम है पिहरी (Pihari)... अच्छी कीमत मिलने से ग्रामीणों के अस्थायी रोजगार (Temporary Business) का जरिया ये सब्जी बन चुकी है. लजीज जायके के साथ शरीर में पोषक तत्वों की कमी पूरी करने वाले इस सब्जी की मांग इतनी ज्यादा होती है कि 800 रुपये प्रति किलो के दाम पर भी लोग इसे हंसते-हंसते खरीद लेते है.
जंगल में आसानी में है उपलब्ध
ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत ग्रामीणों द्वारा सुबह जंगल जाकर जमीन पर उगे पिहरी को उखाड़कर उसे साफ कर बाजार में लाते हैं. बरसात का मौसम अपने पूरे शबाब में है. लगातार आसमान से मूसलाधार बारिश हो रही है. दूसरी तरफ यह मौसम जंगली क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए अस्थायी रोजगार का माध्यम भी बन गया है. जंगली सब्जी कहे जाने वाले पिहरी की आवक बाजार में होने लगी है. दुकानदार बताते हैं कि 800 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक्री हो रही है और हमें ज्यादा समय नहीं लगता बेचने में...
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महीनों रहता है पिहरी का इंतजार
ग्राहक पिहरी के इंतजार में रहते हैं. ग्राहकों का कहना है कि हमें पिहरी खरीदने में महंगी तो पड़ती है, लेकिन इसका जायका इतना पसंद है कि हमें खरीदने में कोई दिक्कत नहीं होती... हम इसे सब्जी, अचार और पपड़ी के रूप में इस्तेमाल करते हैं. हमें पिहरी का पूरे साल इंतजार करना पड़ता है क्योंकि ये सिर्फ बरसात के मौसम में ही मिलती है. पिहरी को इस समय शहरी क्षेत्रों में बहुत पसंद किया जा रहा है.
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