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This Article is From Mar 02, 2025

हौसले की उड़ान: खंडवा की इस बेटी ने तय किया नाव से नेवी तक का सफर, बहुत ही मार्मिक है कावेरी की कहानी

Khandwa Latest News: नाव से नेवी तक के सफर को पूरा करने के दौरान कावेरी को कई ताने भी सुना पड़े. लोग उसे गरीबी और लड़की होने का एहसास कराते रहे, लेकिन इसके बावजूद कभी कावेरी की हिम्मत नहीं टूटी.

हौसले की उड़ान: खंडवा की इस बेटी ने तय किया नाव से नेवी तक का सफर, बहुत ही मार्मिक है कावेरी की कहानी
Nishant Mohammad Siddiqui

Khandwa News: खंडवा के सिंगाजी गांव की रहने वाली एक बेटी कभी अपने पिता का कर्ज चुकाने के लिए नाव से मछली पकड़ करती थी . अब उसने उसी नाव से इंडियन नेवी तक का सफर तय कर लिया है. इंडियन नेवी (Indian Navy) में सिलेक्शन के बाद जब वह पहली बार अपने गांव लौटी, तो परिवार और गांव वालों ने उसका जोरदार स्वागत किया. पेश है हमारे संवाददाता की ग्राउंड रिपोर्ट. 

इंडियन नेवी की सफेद वर्दी पहने यह है खंडवा के सिंगाजी गांव की रहने वाली कावेरी. कावेरी के परिवार में कुल 11 सदस्य हैं, जिसमें  माता-पिता सहित सात बहनें और दो भाई शामिल है. कावेरी के पिता इंदिरा सागर बांध के बैकवॉटर में मछली पकड़ कर अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं. इतने बड़े परिवार का खर्चा चलाना, जब मुश्किल हुआ तो, पिता ने घर चलाने के लिए कर्ज ले लिया.  इसी कर्ज को चुकाने के लिए कावेरी ने भी अपने पिता का हाथ बटाने की ठान ली . फिर क्या था, कावेरी ने भी अपने हाथ में नाव चलाने का चप्पू उठाया और निकल पड़ी . तब उसकी सोच थी कि किसी तरह अपने परिवार के खर्चों को पूरा करने में अपनी जिम्मेदारी निभा सके, ताकि पिता से कर्ज का बोझ उतर जाए. इसी बीच एक दिन तत्कालीन स्पोर्ट्स ऑफिसर ने उसे इंदिरा सागर बांध के बेकवाटर में बेखोफ नाव चलाते देखा.  तो उन्होंने कावेरी को कैनोइंग गेम्स में ट्रेनिंग लेने के लिए प्रेरित किया. कावेरी का नाव चलाते एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ था. इसी वायरल वीडियो ने कावेरी की जिंदगी बदल दी.

गांव पहुंचने पर हुआ जोरदार स्वागत 

तत्कालीन स्पोर्ट्स ऑफिसर ने कावेरी को कैनोइंग गेम्स में ट्रेनिंग लेने के लिए वाटर स्पोर्ट अकादमी भोपाल पहुंचा दिया . उसके बाद कावेरी ने अपने हुनर को अपना जुनून बना लिया. कावेरी ने एक के बाद एक कैनोइंग गेम्स (Canoeing Games) में नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर 45 से ज्यादा मेडल जीते. कावेरी ने एशियन गेम चाइना, वर्ल्ड चैंपियनशीप जर्मनी, एशियन चैंपियनशीप एंड ओलंपिक क्वालिफायर जापन, एशियन चैंपियनशीप उज्बेकिस्तान, यू-23 एशियन चैंपियनशीप थाईलेंड में भी हिस्सा लिया. इस प्रकार नेशनल चैंपियनशीप में 45 गोल्ड, 6 सिल्वर व 3 ब्रांज मेडल जीते. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उसे 11 लख रुपये का इनाम दिया था. पिछले साल स्पोर्ट्स कोटे में उसका इंडियन नेवी में सिलेक्शन हो गया. नेवी में  सिलेक्ट होने के बाद पहली बार वह अपने गांव पहुंची. तो गांव वालों ने जोरदार स्वागत किया.

 लड़की और गरीब होने का मिलता था ताना

नाव से नेवी तक के सफर को पूरा करने के दौरान कावेरी को कई ताने भी सुना पड़े. लोग उसे गरीबी और लड़की होने का एहसास कराते रहे, लेकिन इसके बावजूद कभी कावेरी की हिम्मत नहीं टूटी. वह अपने आप को फिर से तैयार कर पूरे जोश के साथ अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ती रहीं.  इसी का नतीजा है कि कभी पिता के कर्ज के 40 हजार चुकाने केलिए मछलियां पकड़ने की जद्दोजहद में नाव से जलधारा को चिरने वाली अब समुन्द्र की लहरों पर राज कर देश की सेवा करेगी.

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इंडियन नेवी ज्वाइन करने के बाद पहली बार जब बेटी घर लौटी, तो माता-पिता को यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी बेटी इस मुकाम पर पहुंच गई है. माता-पिता ने बेटी को तिलक लगाकर सम्मान किया. वहीं, ग्रामीणों ने भी कावेरी की कामयाबी पर बधाई दी और सम्मान किया. मां ने कहा बेटी ने हमारा कर्ज उतार दिया, तो पिता ने कहा वह पढ़ाई के साथ-साथ मेरा सहयोग भी करती थी. 

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