
Dasha Mata Vrat 2025: चैत्र कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता का पर्व (Dasha Mata Vrat 2025) परंपरागत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया. इधर, मध्य प्रदेश के देवास में महिलाओं ने सामूहिक रूप से विधि-विधान से दशा माता की पूजा अर्चना की और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की.
महिलाओं ने की सुख समृद्धि की कामना
सुबह से ही महिलाएं पारंपरिक परिधान में सज-धजकर पीपल वृक्ष के नीचे एकत्र हुईं और पीपल वृक्ष की दस बार परिक्रमा की और कच्चे सूत का धागा लपेटकर पूजन किया. महिलाओं ने पीपल के वृक्ष पर कुमकुम, हल्दी और मेहंदी अर्पित की. साथ ही चुनरी ओढ़ाकर आटे व हल्दी से बनी सोलह श्रृंगार की सामग्री भेंट की और दशा माता से परिवार की सुख समृद्धि की कामना की. इस दौरान महिलाओं ने गले में शुभता का प्रतीक धागा पहना और नल-दमयंती की कथा का श्रवण किया.
कच्चा सूत बांधकर 10 बार की पीपल वृक्ष की परिक्रमा
चैत्र महीने की दशमी पर सुहागिन महिलाएं दशा माता का व्रत रखती हैं. यह व्रत खासतौर पर घर की दशा ठीक होने के लिए किया जाता है. इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का डोरा लाकर डोरे की कहानी कहती है और पीपल की पूजा कर 10 बार पीपल की परिक्रमा कर उस पर सुत लपेटती है.
नल-दमयंती कथा का विशेष महत्व
इस मौके पर नल–दमयंती की अनोखी प्रेम कथा सुनाई जाती है. वहीं देवास में बड़ी संख्या में महिलाओं ने नल-दमयंती की कथा का श्रवण किया. कहा जाता है कि जो भक्त चैत्र कृष्ण दशमी तिथि को दशा माता का व्रत और पूजन करता है, उसकी घर से दरिद्रता दूर चली जाती है. बता दें कि पीपल वृक्ष के सामने पूजा-अर्चना करने के बाद महिलाओं ने घर पहुंचकर दरवाजे के सामने छापे लगाकर पूजा अर्चना की.