
ग्वालियर में एक ऐसा अजीबोगरीब मामला देखने को मिला है, जहां एक दलित अधिकारी जमीन पर बैठकर काम करने को मजबूर है. उसका आरोप है कि उसके साथ जातिगत भेदभाव किया जा रहा है, जबकि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि विभाग में बैठने के लिए कुर्सी टेबल उपलब्ध नहीं है. इनकी व्यवस्था जा रही है. बता दें कि यह अधिकारी एक साल से जमीन पर बैठकर काम कर रहा है, लेकिन कुर्सी और मेज की व्यवस्था अभी तक नहीं की गई है.
मामला ग्वालियर के मध्य प्रदेश भवन विकास निगम का है. सहायक महा प्रबंधक सतीश डोंगरे जमीन पर बैठते हैं. एक साल से वह जमीन पर चटाई बिछाकर उसपर बैठकर सरकारी काम करते हैं. भवन विकास निगम का कार्यालय किराए के भवन में चल रहा है, जहां अन्य अधिकारियों को बैठने के लिए चैंबर और टेबल कुर्सी दी गई हैं, लेकिन सतीश डोंगरे एक साल से बैठने के लिए कुर्सी टेबल मांग रहे हैं और विभाग एक अधिकारी को कुर्सी टेबल तक नहीं दे पा रहा है. सतीश डोंगरे विभाग पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं.
एक साल से कुर्सी की व्यवस्था नहीं कर पाया विभाग
इस मामले में जब विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अतिरिक्त महाप्रबंधक अच्छेलाल अहिरवार से बात की तो उन्होंने बड़ा ही बेतुका जवाब दिया. उनका कहना है कि भोपाल मुख्यालय डिमांड भेजी गई है. जब फंड आएगा तब कुर्सी टेबल की व्यवस्था की जाएगी.
आजाद भारत की तस्वीर यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या आज भी विभाग में इस तरह के जातिगत भेदभाव होते हैं, जहां एक साल से एक अधिकारी को टेबल और कुर्सी भी नसीब नहीं हो पा रही है.
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