
Madhya Pradesh Cough Syrup Deaths: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से सामने आया कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला अब गंभीर रूप ले चुका है. अब तक कुल 9 बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें से 7 बच्चे चार साल या उससे कम उम्र के बताए जा रहे हैं. प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें से अधिकांश को खांसी-जुकाम के इलाज के लिए घर पर कोल्ड-रिलिफ सिरप या इसी प्रकार के दूसरे कफ सिरप दिए गए थे. स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है और अब इस पूरे प्रकरण में दिल्ली, चेन्नई और छिंदवाड़ा की तीन जांच टीमें काम कर रही हैं.
चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित था सिरप
जानकारी के अनुसार, हाल के दिनों में छिंदवाड़ा में कोल्ड-ड्रिफ सिरप की बहुत अधिक मांग थी. जांच में यह भी सामने आया है कि यह सिरप चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित था, बावजूद इसके इसे स्थानीय स्तर पर बेचा और इस्तेमाल किया जा रहा था. जिन बच्चों की मौत हुई उनमें 9 में से 7 बच्चे 4 साल या उससे कम उम्र के हैं.
- शिवम राठौड़- 4 साल
- उसेद खान- 4 साल
- हितांश सोनी- 4 साल
- श्रेया यादव- 2 साल
- विकास यदुवंशी- 4 साल
- विधि- 2 साल 11 माह
- संध्या- 1 साल
अब तक राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (SFDA) की टीम ने 13 सैंपल एकत्र किए हैं, जिनमें से तीन सैंपल- डीफ्रोस्ट सिरप, वॉक्स एमडीएस सिरप और आल्टो ई सिरप की रिपोर्ट सामने आ चुकी है. हालांकि कोल्ड्रिफ सिरप और नेक्सा डीएस सहित आठ सैंपल की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है, जिनके आने के बाद ही मौतों के असली कारणों का खुलासा होगा.
संदिग्ध सिरप की बिक्री और उपयोग पर रोक
अधिकारियों के मुताबिक जांच में सिरप की गुणवत्ता, निर्माण प्रक्रिया, भंडारण की स्थिति और वितरण श्रृंखला की भी बारीकी से पड़ताल की जा रही है. राज्य सरकार ने सभी जिलों को सतर्क कर दिया है और संदिग्ध सिरप की बिक्री व उपयोग पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. वहीं प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने घरों में रखे ऐसे किसी भी सिरप का उपयोग न करें और यदि किसी बच्चे में सिरप पीने के बाद सुस्ती, उल्टी, सांस लेने में तकलीफ़ या अन्य लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल ले जाएँ और इस्तेमाल की गई दवा की बोतल साथ लेकर जाएं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने क्या कहा?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों में किसी भी दवा का प्रयोग हमेशा बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह से ही किया जाना चाहिए. कई बार गलत खुराक, मिलावट, या भंडारण की त्रुटियां दवा को जहरीला बना देती हैं. विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि फिलहाल मामले की अंतिम रिपोर्ट आने से पहले किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी.
विशेष टीम गठित
स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को चिकित्सा और कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए एक विशेष टीम गठित की है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग लगातार जांच की प्रगति पर नज़र रखे हुए हैं. अधिकारियों ने कहा है कि रिपोर्ट आने के बाद ज़िम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल पूरे जिले में कफ सिरप की बिक्री और बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह दवा देने को लेकर जागरूकता अभियान भी शुरू कर दिया गया है.
अफवाहों से दूर रहने की अपील
यह मामला न केवल छिंदवाड़ा बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक चेतावनी है कि बच्चों को दी जाने वाली दवाओं को लेकर जरा सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है. सरकार ने लोगों से अफवाहों से दूर रहने और केवल आधिकारिक रिपोर्टों व स्वास्थ्य विभाग की जानकारी पर भरोसा करने की अपील की है.
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