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आरक्षक भर्ती परीक्षा घोटाला : सीबीआई कोर्ट ने 2 'मुन्नाभाईयों' को सुनाई 4-4 साल की सजा

पुलिस द्वारा की गई जांच पड़ताल के दौरान व्यापम (MP VYAPAM) के जरिये पता चला कि अभ्यर्थी गौरव सिंह ने ललितेश कुमार से अपने लिए भाड़े पर सॉल्वर की व्यवस्था करने को कहा था. जो उसकी जगह आरक्षक भर्ती परीक्षा में एग्जाम दे सके. ललितेश ने विष्णु से बात की, इसके बाद योगेश कुमार नामक एक अन्य युवक से सॉल्वर के रूप में बैठने का सौदा हुआ था.

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आरक्षक भर्ती परीक्षा घोटाला : सीबीआई कोर्ट ने 2 'मुन्नाभाईयों' को सुनाई 4-4 साल की सजा
ग्वालियर:

Constable Recruitment Exam Scam : देश और प्रदेश के बहुचर्चित मध्यप्रदेश आरक्षक भर्ती घोटाले के मामले में विशेष सीबीआई न्यायालय (CBI Court) ने दो आरोपियों को दोषी मानते हुए चार-चार साल कैद की सजा सुनाई है. विशेष न्यायाधीश अजय सिंह (Justice Ajay Singh) ने अलग-अलग धाराओं में इन आरोपियों पर जुर्माना भी लगाया है. वहीं दो लोगों को बरी भी किया गया है. 

ऐसे दर्ज हुआ था केस 

इस मामले की जानकारी देते हुए विशेष लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा ने बताया कि यह मामला सितम्बर 2012 का है. उस समय ग्वालियर के लक्ष्मीबाई स्मारक उच्च माध्यमिक स्कूल में एमपी पुलिस (MP Poilce) भर्ती के लिए लिखित परीक्षा (Written Exam) का आयोजन किया गया था. भर्ती परीक्षा (Recruitment Exam) के दौरान अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का परीक्षण (Document Verification) किया जा रहा था, इस दौरान पर्यवेक्षण अधिकारी को गौरव सिंह पर संदेह हुआ. उससे परीक्षण शुरू ही किया था कि वह शौचालय की बात कहते हुए फुर्ती से परीक्षा हॉल (Exam Hall) से निकल गया और शौचालय की दीवार फांदकर भाग गया. इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दी गई और पुलिस ने इसमें केस दर्ज किया.

सीबीआई जांच में आये थे आरोपियों के नाम

पुलिस द्वारा की गई जांच पड़ताल के दौरान व्यापम (MP VYAPAM) के जरिये पता चला कि अभ्यर्थी गौरव सिंह ने ललितेश कुमार से अपने लिए भाड़े पर सॉल्वर की व्यवस्था करने को कहा था. जो उसकी जगह आरक्षक भर्ती परीक्षा में एग्जाम दे सके. ललितेश ने विष्णु से बात की, इसके बाद योगेश कुमार नामक एक अन्य युवक से सॉल्वर के रूप में बैठने का सौदा हुआ था.

दो को सज़ा, दो बरी

इस मामले की जांच सीबीआई (CBI) को सौंपी गई थी, जिसने लंबी जांच-पड़ताल के बाद विशेष कोर्ट में चालान पेश किया था. सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश अजय सिंह ने 'मुन्नाभाई' गौरव सिंह और सॉल्वर योगेश को अपराध में दोषी मानते हुए चार-चार साल की सज़ा सुनाई, जबकि आरोपी ललितेश कुमार और विष्णु कुमार को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया.

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