
MP College: गाड़ासरई से करीब दो किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर इस कॉलेज की इमारत बनी है. यहां बीते आठ सालों में कोई पक्की सड़क नहीं बनाई गई. बारिश के मौसम में यह पूरा रास्ता कीचड़ से भर जाता है. कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. काशीराम परते ने NDTV को बताया कि नामांकित छात्रों की संख्या 216 है, लेकिन मौजूदा समय में एक भी छात्र क्लास में नहीं आता. NDTV टीम ने क्लासरूम का निरीक्षण किया तो सभी कमरे खाली मिले.
ग्राम पंचायत ने बनाई सड़क, वो भी खराब हो चुकी है
ग्राम पंचायत बरसोद और गाड़ासरई ने मनरेगा योजना के तहत लाखों रुपये से ग्रेवल सड़क बनाई थी. लेकिन भ्रष्ट निर्माण की वजह से वह भी दलदल और गड्ढों में तब्दील हो चुकी है. बाइक और अन्य वाहन कॉलेज तक नहीं पहुंच पाते. महिला प्राध्यापक ने NDTV को बताया कि वे कॉलेज में एक अलग कपड़ों का सेट रखती हैं क्योंकि कीचड़ से रोज उनके कपड़े खराब हो जाते हैं. उन्होंने कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
टीचिंग स्टाफ है, सपोर्टिंग स्टाफ नहीं
कॉलेज में सात टीचिंग स्टाफ हैं, लेकिन कोई बाबू, चपरासी या चौकीदार नियुक्त नहीं किया गया. खेल प्राध्यापक हैं, लेकिन न खेल मैदान है न गतिविधियाँ. बीए के अलावा कोई अन्य विषय उपलब्ध नहीं है, जबकि प्रयोगशालाएं और कंप्यूटर कक्ष मौजूद हैं. छात्र तो दूर, सपोर्ट सिस्टम ही नहीं है.
श्रेय की सियासत, समाधान कोई नहीं
2013 में शिवराज सरकार ने इस कॉलेज की घोषणा की थी. 2018 में भवन तैयार हुआ और 2020 में कमलनाथ सरकार ने वर्चुअली इसका लोकार्पण किया. कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के नेताओं ने इस कॉलेज के निर्माण का श्रेय लेने की होड़ की. लेकिन अब जब सड़क की सबसे बुनियादी जरूरत अधूरी है, तो सभी जनप्रतिनिधि चुप हैं. मौजूदा मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद उच्च शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं, फिर भी यह समस्या जस की तस बनी हुई है.