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Textile Industry: GST लगने के बाद से बुरहानपुर टेक्सटाईल इंडस्ट्री की हालत हुई खराब, बुनकरों को सरकार से मदद की आस

Burhanpur Textile Industry: जीएसटी लगने के बाद से बुरहानपुर के टेक्सटाईल इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही है. बुनकर सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

Textile Industry: GST लगने के बाद से बुरहानपुर टेक्सटाईल इंडस्ट्री की हालत हुई खराब, बुनकरों को सरकार से मदद की आस
Burhanpur Textile Industry को चाहिए प्रदेश सरकार की मदद

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का सबसे बडा टेक्सटाईल सेंटर बुरहानपुर (Burhanpur) इस समय मंदी से जुझ रहा है, इससे सबसे ज्यादा गरीब पावरलूम बुनकर प्रभावित हो रहा है. बुनकरों के अनुसार जब से पावरलूम से बनने वाले कपड़ों पर जीएसटी टैक्स लगा है, तब से यह कारोबार मंदी से जुझ रहा है. उधर टेक्सटाईल कारोबारी इस मंदी के लिए अन्य राज्यों की तुलना में महंगी बिजली, अधिक मजदूर और कपड़ों को बाजार में तैयार करने में लगने वाली लागत अधिक होने की वजह से परेशान हैं. इस मंदी के कारण बुनकरों व टेक्सटाईल कारोबारियों ने सरकार से बुरहानपुर टेक्सटाईल पावरलूम उद्योग को बचाने के लिए दखल देने की गुहार लगाई है.

टेक्सटाईल नगरी में आया मंदी का दौर

देश प्रदेश में टेक्सटाईल नगरी के नाम से मशहूर बुरहानपुर इन दिनों देशव्यापी टेक्सटाईल क्षेत्र में आई मंदी से जुझ रहा है. शहर में घर -घर में छोटे - छोटे कारखानों में करीब 40 हजार पावरलूम संचालित होते हैं. इस कारोबार से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से दो लाख स ज्यादा लोग जुड़ेे हुए हैं, एक साल से लगातार छाई मंदी का असर सबसे अधिक पावरलूम पर कपड़ा तैयार करने वाले हजारों बुनकरों पर पड़ा है. एनडीटीवी ने कुछ बुनकरो के हालात की पड़ताल की.

नदीम अंसारी है आठ महीन से बेरोजगार

ताज नगर में रहने वाले युवा बुनकर नदीम अख्तर अंसारी 8 महीने से बेरोजगार हैं, नदीम रोजाना अपने पावरलूम की सफाई करने इस उम्मीद से जाता है कि उसे आज रोजगार मिल जाएगा लेकिन 8 महीने से उसकी उम्मीद टूट ही रही है. नदीम पर अपने माता पिता और पत्नी के साथ 4 छोटे बच्चों की जिम्मेदारी है. 8 महीने से थोड़ी बचत से काम चलाया फिर रिश्तेदार दोस्तों और अब कर्ज लेकर अपने व अपने परिवार का लाल पालन कर रहे हैं. अब गरीब बुनकर नदीम अंसारी ने मप्र की मोहन सरकार से गुहार लगाई है कि सरकार ही कुछ ऐसा करे जिससे उसके पावरलूम पहले की तरह शुरू हो जाए और उसे नियमित रोजगार मिले. या फिर सरकार उसकी और उसके जैसे गरीब बुनकरों की आर्थिक रूप से मदद करें.

सरकार बनाए कोई पॉलिसी जिससे आए खुशहाली

कमोबेश ऐसा ही हाल दाउदपुरा में रहने वाले बुनकर इकराम उल्ला का भी है. इकराम भी पिछले 6 महीने से बेरोजगार है. वो अपने परिवार का लालन पोषण करने के लिए दूसरी जगह रोजगार की तलाश में जाता है, लेकिन उसे कोई रोजगार नहीं दे रहा. कर्ज और उधार लेकर इकराम भी अपना जीवन यापन कर रहा है. इकराम ने भी मप्र की मोहन यादव सरकार से गुहार लगाई है कि सरकार कोई ऐसी पॉलिसी बनाए, जिससे पहले जैसी खुशहाली आ जाए.

जीएसटी लगने से आया संकट

बुनकरों के वेलफेयर के लिए काम करने वाले जानकारों के अऩुसार जब से पावरलूम से तैयार होने वाले कपड़ों पर जीएसटी लगा है तब से इस उद्योग के हालात खराब हो गए हैं. जब यह उद्योग ग्रे में चलता था तो काफी अच्छा चलता था लेकिन अब जीएसटी के दायरे में आने से इस उद्योग के हालात खराब होते चले गए इसका खामियाजा शहर के हजारों बुनकरों को पड़ रहा है.  जानकारों के अनुसार पूर्व में मप्र शासन ने सहकारिता के माध्यम से गरीब बुनकरों को रोजगार देने के मकसद से मप्र पावरलूम बुनकर फेडरेशन स्थापित कर रखा है. सरकार को चाहिए कि इस फेडरेशन के माध्यम से बुनकरों को कच्चा माल मुहैया कराकर कपड़ा तैयार कर इस कपड़े की सरकार खरीदी करके बुनकरों को रोजगार उपलब्ध कराए.

उन्होने मप्र के सीएम से मांग की है कि वह बुरहानपुर के पावरलूम उद्योग को बचाने के लिए बिजली में सब्सिडी, पावरलूम फेडरेशन के माध्यम से बुनकर के द्वारा तैयार कपड़े की खरीदी व अन्य अनुदान देकर इस उद्योग को संकट से उबारें.

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