Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के भिंड में रावतपुरा सरकार धाम पहुंचे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दौरे के दौरान बुधवार को किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं का आक्रोश फूट पड़ा. आक्रोशित किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विद्युत विभाग के अफसरों के खिलाफ खुलकर नारेबाजी शुरू कर दी. लहार–मिहोना क्षेत्र से पहुंचे सैकड़ों किसानों ने महिला उपप्रबंधक (DGM) लक्ष्मी सोनवानी को तत्काल हटाने की मांग करते हुए हेलीपेड परिसर में मुख्यमंत्री के सामने करीब 20 मिनट तक जोरदार नारे लगाए.
मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर से उतरते ही किसानों ने “DGM हटाओ” जैसे नारे लगाकर अपना विरोध दर्ज कराया. इस दौरान सुरक्षाकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी स्थिति को नियंत्रित करने में जुटे रहे. अचानक हुए इस प्रदर्शन से कुछ देर के लिए कार्यक्रम स्थल पर अफरा-तफरी की स्थिति बन गई.
प्रदर्शन कर रहे किसानों का आरोप है कि विद्युत विभाग के अधिकारी लक्ष्य (टारगेट) पूरा करने के लिए फर्जी कार्रवाई कर रहे हैं. किसानों ने बताया कि उनके खेतों में विभाग की ओर से दिए गए वैध बिजली कनेक्शनों को दो से तीन महीने बाद ही अवैध घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद किसानों पर हजारों से लेकर लाखों रुपये तक के भारी-भरकम बिल और जुर्माने थोप दिए जा रहे हैं. किसानों का कहना है कि बिना मौके पर सही जांच किए ही नोटिस जारी कर दिए जाते हैं, जिससे वे मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं.
किसानों ने मुख्यमंत्री को सौंपे ज्ञापन में आरोप लगाया कि DGM लक्ष्मी सोनवानी के कार्यकाल में इस तरह की कार्रवाई लगातार बढ़ी है. उन्होंने कहा कि कई मामलों में मीटर रीडिंग, लाइन लंबाई और कनेक्शन की स्थिति में गड़बड़ी दिखाकर फर्जी बिल तैयार किए गए. किसानों ने अपने आरोपों के समर्थन में फर्जी बिलों की प्रतियां भी मुख्यमंत्री को सौंपीं.
प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि वे इस पूरे मामले को लेकर पहले ही भोपाल स्थित विद्युत कंपनी के एमडी कार्यालय तक शिकायत कर चुके हैं. इसके बावजूद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही बिलों में सुधार किया गया, तो मजबूर होकर उन्हें मुख्यमंत्री के सामने प्रदर्शन करना पड़ा. किसानों का कहना था कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव किसानों से ज्ञापन लेकर मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गए.कार्यक्रम स्थल पर मौजूद प्रशासनिक और विद्युत विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने किसानों को शांत कराने का प्रयास किया. बाद में स्थिति नियंत्रण में आई और मुख्यमंत्री अपने निर्धारित कार्यक्रम के लिए रवाना हुए. हालांकि, इस घटना ने एक बार फिर जिले में बिजली विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर उठ रहे सवालों को चर्चा के केंद्र में ला दिया है.