Cleanliness Survey : देश में पिछले सात सालों से इंदौर शहर स्वच्छता सर्वेक्षण में पहले नंबर पर रहा है. वहीं, इस वर्ष भी शहर आठवीं बार पहला स्थान पाने के लिए तैयार है. यह इंदौर के सफाई कर्मचारियों की मेहनत है, जिनकी वजह से इंदौर ने सफाई में ये मुकाम हासिल किया. उनकी हालत बेहद ही चिंता जनक है. NDTV ने सफाई कर्मियों की बस्ती का रियलटी चेक किया तो सारी पोल खुल गई. हालांकि, अब जैसे-जैसे स्वच्छता सर्वेक्षण करीब आने लगा है. सवाल यह उठता है कि क्या सच में इंदौर पूरी तरीके से कचरा मुक्त हो चुका है ? क्या सच में गंदगी से उत्पन्न होने वाली बीमारी इंदौर से खत्म होने की कगार पर है ?
रहवासियों ने लगाए गंभीर आरोप
इन सवालों का जवाब ढूंढ़ने रविवार को NDTV की टीम वाल्मीकि बस्ती पहुंची, जहां इंदौर के सफाई कर्मचारी रहते हैं. हालांकि, यह इंदौर का दुर्भाग्य है कि जिन कर्मचारियों ने पूरे शहर को स्वच्छ और स्वस्थ बनाया, वो लोग ही भयानक परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं. रहवासियों ने आरोप लगाए कि लगातार कई जगहों पर शिकायत करने पर भी उन्हें इसका समाधान नहीं मिल पा रहा है. अधिकारी आते हैं, तस्वीर लेते हैं और आश्वासन दे कर चले जाते हैं.
'हाथ जोड़ कर वोट मांगते हैं, और फिर कोई नहीं आता'
सिर्फ चुनावों के समय बस्ती पहुंचते हैं. वहीं, नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए आक्रोशित महिलाओं ने कहा कि सिर्फ चुनावों के समय बस्ती पहुंचते हैं, हाथ जोड़ कर वोट मांगते हैं, और फिर कोई नहीं आता. आपको बता दें, पूर्व महापौर और वर्तमान विधायक मालिनी गौड़ के विधानसभा की यह बस्ती है, जिसमें सफाई कर्मी नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.
'मोहल्ले कि सड़कों में पानी भर जाता है'
इंदौर के बेकलेन में मौजूद यह बस्ती कई सवाल उठाती है. यहां के रहवासी परेशान हैं, शिकायत करते हैं कि ऐसी हालत में उनके घर कोई मेहमान नहीं आता है. छोटे बच्चे इस दुर्भायागपूर्ण स्थिति में रहने को मजबूर है.जब नलों में पानी आता है, तब मोहल्ले कि सड़क में पानी भर जाता है. घरों से लगी हुई ड्रेनेज खुली हुई है, और कई बार यहां का पानी किचन में भी भर जाता है. ऐसी स्थिति में सफाई कर्मियों के सामने संक्रमण और कई अन्य तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
कब मिलेगा गंदगी से छुटकारा?
जहां, एक ओर शहर कि प्रमुख सड़कों की तुलना विदेशों से की जाती है. वहीं, दूसरी ओर आज भी सबसे साफ शहर के प्रथम कर्मचारी बत से बत्तर जीवन जीने को मजबूर हैं. अंततः इंदौर स्मार्ट सिटी बनने की राह पर निकल चुका है. लगातार इस दिशा में काम भी हो रहें हैं. हालांकि, सवाल ये है कि सफाई कर्मियों को गंदगी से कब छुटकारा मिलेगा. इनकी बस्ती, मोहल्ले कब शहर कि अन्य बस्तियों की तरह साफ दिखेंगी. जिम्मेदारों की नजर क्यों नहीं पड़ रही.
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