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MP में मावा मिलावटखोरों पर शिकंजा, त्योहारों में खूब होता है मिलावट का खेल

MP News Bhopal : त्योहारों के आने के साथ एक तरफ जहां खुशियों का माहौल होता है... तो वहीं, दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो चंद पैसों के लिए जनता की सेहत से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूकते. मध्य प्रदेश में भी त्योहारों से पहले मिलावट का गोरखधंधा शुरू हो जाता है... जिसके लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग चौकन्ना हो गया है. 

MP में मावा मिलावटखोरों पर शिकंजा, त्योहारों में खूब होता है मिलावट का खेल
MP में मावा मिलावटखोरों पर शिकंजा, त्योहारों में खूब होता है मिलावट का खेल

Festive Season : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में त्योहारों का मौसम करीब आते ही हर साल छोटे शहरों से बड़े शहरों में दूषित मावे की सप्लाई बढ़ जाती है. इस बार भी ऐसा होगा... और इसके संकेत अभी से मिलने लगे हैं. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग के अधिकारी चौकस हो गए हैं... लेकिन इसे रोकना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. राज्य का ग्वालियर-चंबल अंचल वह इलाका है जहां से प्रदेश के बड़े शहर ही नहीं देश के कई इलाकों में मावा की सप्लाई होती है. इधर, शादी समारोहों का सिलसिला शुरू हो चुका है. वहीं, स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन का पर्व भी कुछ दूर है. इसके साथ ही मावे की सप्लाई भी शुरू हो चुकी है.

त्योहारों में मिलावट का गोरखधंधा

आने वाले समय में यह मावे  की डिमांड और सप्लाई तेजी से बढ़ने की संभावना है. इसी के चलते खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की कार्रवाइयां भी बढ़ने लगी हैं. दूषित मावे की सप्लाई की के इस मुद्दे के बीच खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग को खबर मिली कि ग्वालियर से भोपाल मावा लाया जा रहा है. इस खबर के आधार पर भोपाल रेलवे स्टेशन पर आए मावा को जब्त कर लिया गया, मगर जो दो लोग मावा लेकर आए थे, वे रफूचक्कर हो गए.

पुलिस ने जब्त किया 8 लाख का मावा

रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 36 क्विंटल मावा जब्त किया गया है, जिसकी कीमत आठ लाख रुपए आंकी गई है. इस मावे के सैंपल को जांच के लिए लेबोरेटरी भेजा जाएगा. उसके बाद ही इस बात का खुलासा हो सकेगा कि यह मावा ठीक था या फिर दूषित.

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जानकारों का कहना है कि राज्य में दूषित मावा की सप्लाई को रोकना सरकारी अमले के लिए आसान नहीं होता, क्योंकि राज्य के अलग-अलग हिस्सों से यह मावा ट्रेन के जरिए या सड़क मार्ग के जरिए पहुंचता है. विभाग को या पुलिस अमले को जब किसी मुखबिर से खबर मिलती है तभी कार्रवाई हो पाती है. इस बार देखना होगा कि प्रशासन सिंथेटिक मावे की सप्लाई को कैसे रोकता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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