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नौनिहालों की जान को जोखिम, फिर भी जर्जर भवनों में चल रहे स्कूल, बड़ी दुर्घटना को दावत दे रहे खस्ताहाल 500 स्कूल

Chhindwara Schools: डीपीसी जेके इधपाचे ने बताया कि छिंदवाड़ा जिले में करीब 500 सरकारी स्कूल जर्जर हालत में हैं. उन्होंने बताया कि जिले के जर्जर स्कूलों का आंकलन कर लिया गया है. सूची राज्य शिक्षा केंद्र को भेज दी गई है. राशि आवंटित होने के बाद जर्जर भवनों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा.

नौनिहालों की जान को जोखिम, फिर भी जर्जर भवनों में चल रहे स्कूल, बड़ी दुर्घटना को दावत दे रहे खस्ताहाल 500 स्कूल
प्रतीकात्मक तस्वीर

Dilapidated Schools In Chhindwara: छिंदवाड़ा जिले में करीब 500 सरकारी स्कूल जर्जर भवनों में चल रहे है. खस्ताहाल स्कूल भवनों में रोजाना नौनिहाल जान जोखिम में डालकर पढ़ने आते हैं, लेकिन करीब 30 वर्ष पहले निर्मित स्कूल भवनों की मरम्मत का कार्य नहीं होने से जर्जर हो चुके स्कूलों में हर दिन बच्चों का भविष्य दांव पर लगा रहता है.

छिंदवाड़ा में करीब 500 ऐसे स्कूल हैं, जिनकी हालत बद से बदतर हो चली है, लेकिन फिर भी मासूमों की कक्षाएं ऐसे जर्जर भवनों में लगाए जा रहे हैं, जिससे उनकी जान का जोखिम बना हुआ है.  प्रशासन ने अभी तक इसकी सुध नहीं ली, जो किसी दिन बड़े दुर्घटना को दावत दे सकती है.

छिंदवाड़ा शहर में जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजूबर हैं छात्र 

रिपोर्ट के मुताबिक छिंदवाडा़ शहर के बीचो-बीच निर्मित शासकीय मदन मोहन मालवीय प्राथमिक स्कूल की जर्जर दीवारों के बीच स्कूली बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. स्कूल भवन में कुल पांच कमरे हैं. एक कमरे में आंगनबाड़ी लगाई जा रही है, जबकि दो कमरों में बच्चों की क्लास लगती है. यहां बैठने के लिए फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं है.

सीलन भरे स्कूल भवन में लगती हैं नौनिहालों के स्कूल

जर्जर हो चुके मदन मोहन माललीय प्राइमरी स्कूल की हालत यह है कि भवन की दीवारों में सीलन आ चुकी है, जहां बैठकर पढ़ाई करने वाले मासूमों को बीमार होने की संभावना बनी रहती है, वहीं जर्जर भवन के ढहने का भी खतरा बना हुआ है, जिसकी चपेट में आने से बच्चों की जान का भी खतरा बन सकता है.

एनडीटीवी टीम की पड़ताल में हुए चौंकाने हुए खुलासे

जर्जर स्कूल भवन में रोजाना 30 से 40 बच्चे जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है. जर्जर हो चुके स्कूल का जायजा लेने वहां पहुंची एनडीटीवी की टीम ने पाया कि जहां बच्चों की क्लास लगती है, उसकी छत से पानी टपकता है औऱ दीवारों में सीलन आ रही है, बावजूद इसके स्कूल बदस्तूर स्कूल चल रहे हैं.

जर्जर मदन मोहन मालवीय प्राइमरी स्कूल का निर्माण करीब 30 साल पहले हुआ था, लेकिन उसके बाद से स्कूल भवन के रखरखाव के नाम पर सिर्फ औपचारिकता होती रहीं, जिससे स्कूल भवन की स्थिति खस्ताहाल हो चुकी है, लेकिन कोई भी स्कूल की सुध लेने वाला नहीं है.

 शिकायत के बाद भी नहीं हुई स्कूल की मरम्मत का कार्य

एनडीटीवी से बातचीत में स्कूल में तैनात शिक्षिका कुमुंद दुबे ने बताया कि, पिछले 5 साल से लगातार चिट्ठी के माध्यम से स्कूल की मरम्मत कराने के लिए प्रार्थना की जा रही है, लेकिन अब तक स्कूल की मरम्मत नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि दीवारों में सीलन आने के बाद तीन कमरों वाले स्कूल को दो कमरों तक सीमित कर दिया गया.

बड़ी दुर्घटना को दावत दे रहे छिंदवाड़ा के 500 जर्जर स्कूल

मामले पर डीपीसी जेके इधपाचे ने बताया कि छिंदवाड़ा जिले में करीब 500 सरकारी स्कूल जर्जर हालत में हैं. उन्होंने बताया कि जिले के जर्जर स्कूलों का आंकलन कर लिया गया है. सूची राज्य शिक्षा केंद्र को भेज दी गई है. राशि आवंटित होने के बाद जर्जर भवनों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा.

जर्जर स्कूलों में दुर्घटना हुई तो कौन होगा जिम्मेदार? 

सवाल है कि जर्जर स्कूलों में मरम्मत कार्य के लिए जब राशि आवंटित होगा और मरम्मत कार्य संपन्न होगा. इससे पहले ऐसे 500 जर्जर स्कूलों में हादसा हो गया तो इसका जि्म्मेदार कौन होगा. नौनिहालों के जान को खतरे में डालकर चलाए जा रहे ऐसे स्कूलों में किसी एक बच्चे की जान चली गई तो कौन इसकी जिम्मेदारी लेगा?

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