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खुशखबरी! अब तहसील-गांव में भी चौपाल लगाएंगे कलेक्टर, MP में ब्यूरोक्रेसी को कसने की नई कवायद

मध्यप्रदेश में इन दिनों विपक्ष ही नहीं सत्तापक्ष के भी कई विधायक प्रशासन से नाराज़ हैं.नाराजगी की तस्वीरें सुर्खियों में है. ऐसे में मुख्य सचिव के रूप में कुर्सी संभालने के बाद नये प्रशासनिक मुखिया ने ब्यूरोक्रेसी में कसावट की तैयारी शुरू कर दी है. जानिए अब राज्य की ब्यूरोक्रेसी के कामकाज में क्या परिवर्तन आपको देखने को मिल सकता है.

खुशखबरी! अब तहसील-गांव में भी चौपाल लगाएंगे कलेक्टर, MP में ब्यूरोक्रेसी को कसने की नई कवायद

MP Administrative News: मध्यप्रदेश नए मुख्य सचिव यानी राज्य के प्रशासनिक मुखिया अनुराग जैन (Anurag Jain) ने ब्यूरोक्रेसी की कसावट (Administrative Reforms) शुरू कर दी है. जिसके मद्देनजर जल्द कलेक्टर और दूसरे अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. जिसके तहत कलेक्टरों को तहसील और ग्रामीण इलाकों में चौपाल लगाने के भी निर्देश शामिल हैं. माना जा रहा है कि दीपावली के बाद प्रदेश के कलेक्टरों-कमिश्नरों की कॉन्फ्रेंस बुला कर उन्हें सुशासन का पाठ पढ़ाया जाएगा. इसके पीछे जो सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है वो है कि राज्य में इन दिनों विपक्ष ही नहीं सत्तापक्ष के भी कई विधायक प्रशासन से नाराज़ हैं. इसी के मद्देनजर आने वाले दिनों में प्रदेश के नए नवेले प्रशासनिक मुखिया बैठकों का दौर शुरू करेंगे. जिसके बाद कुछ नए प्रयोग भी देखे जा सकते हैं. 

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दरअसल पिछले दिनों राज्य के अलग-अलग जगहों से लगातार खबरें आ रही हैं कि बीजेपी विधायक अपनी पुलिस से नाराज हैं. चार से पांच बीजेपी विधायकों ने पुलिस के सामने विरोध प्रदर्शन किया है. एक विधायक प्रदीप पटेल तो अपने जिले के पुलिस कप्तान के सामने दंडवत भी हो गए थे. जिसकी तस्वीरें वायरल हुई थीं. 

मुख्य सचिव की इस पहल के बारे में सत्ताधारी दल के सभी विधायकों को जानकारी दे दी गई है.

इस संबंध में बीजेपी विधायक श्रीकांत चतुर्वेदी का कहना  है कि मुख्य सचिव को यहां का और पीएमओ का अनुभव है. उन्होंने जैसे ही पदभार ग्रहण किया उसी समय संकेत दे दिए थे कि सुशासन के लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा.

अभी तक कलेक्टर-कमिश्नर विशेष परिस्थितियों में ही गावों और तहसीलों में जाते थे. अब उन्हें रुटीन में जाना पड़ेगा. 
प्रशासनिक मामलों के जानकार भी मुख्य सचिव की पहल को अच्छी बता रहे हैं. रिटायर्ड IAS डीएस राय का कहना है कि सुशासन की पाठशाला सब जगह होनी चाहिए. राज्य में सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के प्रयासों में कमी रही है. वे सिर्फ ऑफिस में बैठकर अपने अधीनस्थों से जानकारी लेकर काम कर रहे हैं. डीएस राय ने ये भी जोड़ा कि मैं लंबे समय से अनुराग जैन को जानता हूं वे अच्छी पहल कर रहे हैं. 

दूसरी तरफ विपक्ष का कहना है कि सिर्फ कहने भर से या योजना बनाने से कुछ भी नहीं होगा. कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक का कहना है कि राज्य में कलेक्टरों की टेबल पर फाइलों का ढेर लगा हुआ है. काम हो नहीं रहे हैं और आम लोगों की सुनवाई कोई नहीं कर रहा है. देखना ये है कि क्या इस पहल से हालात में सुधार होंगे?
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