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This Article is From May 30, 2025

ऑपरेशन थियेटर में होते भर्ती, लेकिन बिना सर्जरी लौट आते मरीज; रायपुर के अंबेडकर अस्पताल की हालत पर हाईकोर्ट की फटकार

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में इलाज को लेकर गंभीर अव्यवस्थाएं सामने आई हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मरीजों को सर्जरी के लिए एक-दो दिन नहीं बल्कि 15 से 20 दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा है.

ऑपरेशन थियेटर में होते भर्ती, लेकिन बिना सर्जरी लौट आते मरीज; रायपुर के अंबेडकर अस्पताल की हालत पर हाईकोर्ट की फटकार

Chhattisgarh Hindi News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने राजधानी रायपुर स्थित अंबेडकर अस्पताल में कैंसर सर्जरी (Cancer Surgery) और अन्य ऑपरेशनों के लिए लंबी वेटिंग को लेकर गहरी नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने इस गंभीर मसले पर मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर संज्ञान लेते हुए राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा तलब किया था. इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अपेक्षित हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया जा सका. महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने कोर्ट से कुछ समय देने का आग्रह किया, जिसे मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने स्वीकार कर लिया. अब अगली सुनवाई 10 जून को होगी.

मामले की पिछली सुनवाई 27 मई को हुई थी, जिसमें कोर्ट ने अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं और मरीजों को हो रही परेशानियों पर चिंता जताई थी. रिपोर्ट्स में सामने आया था कि अंबेडकर अस्पताल (Ambedkar Hospital Raipur) में हड्डियों के फ्रैक्चर, गंभीर चोटों और कैंसर जैसी बीमारियों के मरीजों को सर्जरी के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है.

ऑपरेशन थियेटर से बिन सर्जरी के लौट जाते हैं मरीज

कुछ मरीजों को तो ऑपरेशन थियेटर में ले जाने के बाद बिना सर्जरी किए वापस लाया जाता है. इस वजह से मरीजों की जान पर बन आती है. परिजनों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर बिना कोई कारण बताए मरीजों को ऑपरेशन के लिए मना कर देते हैं और कई बार निजी अस्पतालों में इलाज कराने की सलाह देते हैं.

ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर मरीज सरकारी अस्पताल में ही इलाज कराने को मजबूर हैं और अस्पताल परिसर में ही डेरा डाल कर अपनी बारी का इंतजार करते हैं.

ऑपरेशन वाले डॉक्टरों की संख्या बेहद कम

गौरतलब है कि अंबेडकर अस्पताल में कुल 29 ऑपरेशन थियेटर हैं, लेकिन ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की संख्या बेहद कम है. रोजाना सैकड़ों मरीज अस्पताल में पहुंचते हैं, जिनमें से कई गंभीर रूप से घायल होते हैं. इस स्थिति से जूझते मरीजों के परिजन भी कई बार अपना धैर्य खो बैठते हैं और अस्पताल प्रबंधन के साथ विवाद की नौबत तक आ जाती है.

हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से अस्पताल में मरीजों को हो रही दिक्कतों और उनके समाधान को लेकर ठोस जवाब देने को कहा था. अब सचिव का हलफनामा 10 जून को पेश किया जाएगा.

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