
Naxalites Drop Weapons: नक्सलवाद प्रभावित छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुदूर अंचलों में सुरक्षाबलों के लगातार ऑपरेशन और बड़े माओवादियों के मारे से जाने से नक्सलियों में भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई है. जान के लाले पड़ने के बाद नक्सली अब धड़ाधड़ आत्मसमर्पण करने रहे हैं. इसी कड़ी में शनिवार को सुकमा जिले में ₹1.18 करोड़ के इनामी 23 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया.
इससे पहले शुक्रवार को बस्तर के नारायणपुर जिले की पुलिस के सामने एक साथ 22 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. इनमें 14 पुरुष और 8 महिलाएं शामिल हैं. इन सरेंडर माओवादियों पर 37.05 लाख रुपये का इनाम घोषित था. बताया जाता है कि सरेंडर करने वाले माओवादी लंबे समय से अबूझमाड़ के जंगलों में खूनी वारदातों को अंजाम दे रहे थे. इन्हें मिलाकर पिछले 24 घंटों में कुल 45 नक्सलियों ने हिंसा छोड़कर लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास जताया है.
'बंदूक की गोली नहीं, विकास की बोली'
नक्सलियों की बड़ी संख्या में समर्पण से खुश छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अभूतपूर्व घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स के माध्यम से व्यक्त की. अपने बयान में उन्होंने कहा कि यह केवल आत्मसमर्पण नहीं है, बल्कि विश्वास की उस जीत का प्रतीक है, जो हमारी सरकार ने 'नियद नेल्ला नार' जैसी जन उन्मुख योजनाओं के माध्यम से गांव-गांव तक पहुंचाया है. अब यहां बंदूक की गोली नहीं, विकास की बोली सुनाई दे रही है.
15 महीनों में 1521 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि पिछले 15 महीनों में 1521 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार की पहुंच और विश्वास निरंतर बढ़ा है. यह सफलता राज्य सरकार की ‘नवीन आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025' की सकारात्मकता को भी दर्शाती है, जिसके तहत हथियार छोड़ने वाले नक्सलियों को न केवल सामाजिक सम्मान, बल्कि पुनर्वास और आजीविका का अवसर भी दिया जा रहा है.
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मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह परिवर्तन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में चल रहे सुशासन के विजन का सजीव उदाहरण है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारा प्रदेश तय समय-सीमा के भीतर नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त होगा और बस्तर क्षेत्र का प्रत्येक नागरिक विकास की मुख्यधारा से जुड़ेगा.
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