
छतरपुर जेल में बंद एक कैदी की ग्वालियर के अस्पतावल में मौत हो गई.1 अगस्त को बमीठा पुलिस ने दो लूट की घटनाओं का खुलासा किया गया था. इन घटनाओं में शामिल तीन आरोपियों को न्यायालय में पेश करके पुलिस ने इनको पांच दिन की रिमांड पर ले लिया था. रिमांड के बाद सभी आरोपियों को जेल में भेज दिया गया था. जेल जाने के बाद इन तीन आरोपियों में से एक राजबहादुर पुत्र भूपेंद्र सिंह निवासी बमारी, की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद आरोपी राजबहादुर को छतरपुर के जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. यहां भी इनकी हालत बिगड़ती चली गई जिसके बाद इन्हें रेफर कर दिया गया. गुरूवार को ग्वालियर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान राजबहादुर की मौत हो गई.
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इस मामले में आया नया एंगल
इस मामले में नया मोड़ भी आ गया जब लूट के परिवादी बने नरेंद्र ने पुलिस के सामने साफ कह दिया था कि लूट में राजबहादुर शामिल नहीं थे. नरेंद्र के अनुसार पुलिस ने जानबूझकर राजबहादुर को लूट का आरोपी बनाया था. अगर नरेंद्र की बात सच है तो पुलिस के लिए बड़े शर्म की बात है. नरेंद्र की बात को अगर सही माने तो पुलिस ने या तो किसी लालच या किसी के कहने पर राजबहादुर को लूट का आरोपी बनाया था.
पुलिस पर भी उठे सवाल
हालांकि थाना प्रभारी पोर डाबर का कहना है कि आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था. थाना प्रभारी के अनुसार रिमांड पर लेने के बाद और जेल में दाखिल करते हुए आरोपी पूरी तरह से स्वस्थ था, आरोपी की मौत कैसे हुई ये तो जांच के बाद ही पता चल पायेगा. छतरपुर में इस तरह की एक सप्ताह के अंदर ये दूसरी घटना है, इससे पहले डकैती के मामले में जेल में बंद पंचम सिंह की भी इसी तरह से मौत हो गई थी.
क्या राजबहादुर की मौत के पीछे भी कोई कहानी हो सकती है क्योंकि नरेंद्र के बयान के बाद कुछ भी साफ साफ कहना मुश्किल है?