
Madhya Pradesh News: देश दुनिया में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में बने शिल्पग्राम बनाने में हुए भ्रष्टाचार एक मामले में 26 साल बाद बड़ा फैसला आया है. इस मामले में कोर्ट ने दो आरोपियो को सजा सुनाकर जेल भेजा है.
ये है मामला
दरअसल खजुराहो के शिल्पग्राम बनाने के मामले में 48 लाख के गवन करने का मामला उजागर हुआ था. इस मामले में 1999 में CID जबलपुर के द्वारा एक एफआईआर दर्ज की गई थी.जिसमें दक्षिण मध्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र नागपुर (एस.सी.जेड.सी.सी.) भारत सरकार की स्वायत्त संस्था है, जिसका कार्य क्षेत्र मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक है.इस संस्था ने खजुराहो में शिल्पग्राम प्रोजेक्ट प्रारंभ किया, इसका निर्माण तीन चरणों में होना था.
मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने 3-3 करोड़ की राशि स्वीकृत की थी. इस प्रकार केंद्र को कुल 6 करोड़ रुपये आबंटित किए गए थे. 09 जुलाई 1996 को आरोपी आदिके शिवनन जप्पा पदमनाभा को शिल्पग्राम के प्रोजेक्ट ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया गया था.31 मार्च 1998 तक पदस्थ रहे.
आरोपी आदिके शिवनन जप्पा पदमनाभा ने खजुराहों में शिल्पग्राम के नाम से बैंक खाता नहीं खोला, बल्कि नियमों और प्रकिया का जानबूझकर आपराधिक आशय से उल्लंघन करते हुए खुद अपने नाम से खजुराहों में खाते खोले और केंद्र से प्राप्त राशियां अपने व्यक्तिगत खाते में जमा की.
वर्ष 1997-98 के लेखा परीक्षण में शिल्पग्राम प्रोजेक्ट में 48 लाख रुपये की अनियमितता पाई गई. इस कारण शिकायत होने पर पुलिस अनुसंधान विभाग ने मामला पंजीबद्ध किया गया. मामले में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं. आरोपी ने कभी आय-व्यय का विवरण प्रस्तुत नहीं किया.
प्रोजेक्टर के उपनिदेशक अरूण बांगरे पर प्रोग्राम के क्रियान्वयन की प्रत्यक्ष जिम्मेदारी थी. आरोपी सतीश बानखेड़े पर शासकीय राशि आहरण के लिए लेखानुदान प्रस्ताव तैयार करने की जवाबदारी थी. इनके द्वारा भी लगातार नियमों का उल्लंघन करते हुए आरोपी आदिके शिवनन जप्पा पदमनाभा को धनराशि स्वीकृत कराने में सहायता की गई. इस अवधि में उन्होंने 67 लाख रुपये की धनराशि आहरित कर आदिके शिवनन जप्पा पदमनाभा को दी.
आरोपियों पर धारा 409, 420, 467, 468, 4 471, 477, 120वीं एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) का अपराध सीआईडी जबलपुर में पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया . संपूर्ण विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया.
अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक / एडीपीओ कृष्ण कुमार गौतम और शिवाकांत त्रिपाठी ने DPO प्रवेश अहिरवार के मार्गदर्शन में पैरवी करते हुए मामले के सभी सबूत एवं गवाह कोर्ट में पेश किए. विचारण के बाद विशेष न्यायाधीश लोकायुक्त / प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश आशीष श्रीवास्तव, छतरपुर के न्यायालय ने 4576228 रुपये का गबन सिद्ध पाए जाने पर आरोपी आदिके शिवनन जप्पा पदमनाभा को भादवि की धारा 409 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड से दंडित किया गया. दूसरे आरोपी सतीश वानखेडे को भादवि की धारा 120वीं में 10 वर्ष के सश्रम कारावास और एक लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया है . इस मामले में दोनों आरोपियों को जेल भी भेज दिया गया है.
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