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Dangerous Schooling: दिल और दिमाग की नहीं, शिक्षा के लिए छात्रों को यहां लगानी पड़ती है जान की बाजी!

CG Education Department: कांकेर जिले के दूरदराज पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश के दिनों में खासकर बच्चों के लिए बेहद मुश्किल भरा समय होता है. बच्चों को स्कूल तक की यात्रा जोखिम भरी होती है. बच्चों को स्कूल में पढ़ने जाने के लिए दिल और दिमाग से अधिक जोखिम उठाने में पारंगत होने की जरूरत होती है.

Dangerous Schooling: दिल और दिमाग की नहीं, शिक्षा के लिए छात्रों को यहां लगानी पड़ती है जान की बाजी!
Students have to risk their lives to reach school in kanker chhattisgarh

CG School Education: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में जैसे-जैसे बरसात अपने शबाब पर आती है, वैसे-वैसे लोगों की मुसीबतें बढ़ जाती है. बरसाती पानी से जगह-जगह पानी भर जाता है, नदी और नाले उफान पर होते हैं, जिससे दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों में स्कूल जाने वाले बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए दिल-दिमाग की जगह जान की बाजी लगानी पड़ती है. 

कांकेर जिले के दूरदराज पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश के दिनों में खासकर बच्चों के लिए बेहद मुश्किल भरा समय होता है. बच्चों को स्कूल तक की यात्रा जोखिम भरी होती है. बच्चों को स्कूल में पढ़ने जाने के लिए दिल और दिमाग से अधिक जोखिम उठाने में पारंगत होने की जरूरत होती है.

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पुल नहीं होने से जान जोखिम में डालकर नाला पार करना पड़ता है

रिपोर्ट के मुताबिक आदिवासी बहुल कांकेर जिले में बरसात के दिनों में बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए बेहद ही मुश्किल समय का सामना करना पड़ता है. सड़कों पर जगह-जगह भरे बरसात के पानी से स्कूल पहुंचने में काफी दिक्कत होती है. कई जगह पर नालों पर पुल न होने से बच्चों को काफी देर तक इंतजार कर जान जोखिम में डाल नाला पार करना पड़ता है.

स्कूली बच्चे हर रोज एक नाला पार कर कानागांव में स्कूल पहुंचते हैं

यह नजारा कांकेर जिला मुख्यालय से 100 किमी दूर अन्तागढ़ विकासखण्ड अंतर्गत केसालपारा में आम है, जहां स्कूली बच्चे हर रोज एक नाला पार कर कानागांव में स्कूल पहुंचते है. सालों से बच्चे बरसात में इस नाले को पार कर स्कूल आते जाते है, लेकिन अभी तक बच्चों के स्कूल पहुंचने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा सके हैं.

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केसालपारा में प्राथमिक पाठशाला तो हैं, लेकिन माध्यमिक पढ़ने के लिए उन्हें कानागांव आना पड़ता है. प्राथमिक पाठशाला में रोजाना लगभग दर्जनभर बच्चे जान जोखिम में डालकर नाला पार करते है, लेकिन जब नाले में पानी अधिक होता है तो सप्ताह भर बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं.

पुल नहीं होने के कारण बारिश के दिनों हालात ज्यादा खराब हो जाते हैं

गौरतलब है सालों से ग्रामीण पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक पुल नही बनने के कारण स्कूली बच्चों को मजबूरन नाला पार कर स्कूल जाना पड़ता है. परिजनों का कहना है कि बारिश के दिनों हालात ज्यादा खराब हो जाते हैं, जब तक बच्चे लौट नहीं आते उनकी चिंता सताती रहती है. हालांकि क्षेत्रिय विधायकने वादा किया है कि जल्द पुल का निर्माण होगा.

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