
Burhanpur eco friendly Idol of Ganesha: महाराष्ट्र सीमावर्ती जिले बुरहानपुर में दस दिवसीय गणेश उत्सव शुरू हो गया है, जिले में लगभग 700 से अधिक सार्वजनिक गणेश पंडालों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है. बुरहानपुर शहर में 300 से अधिक गणेश सार्वजनिक गणेश पंडालों में आकर्षक और अलग अलग मुद्राओं में गणेश जी की प्रतिमाए स्थापित की गई है.
बुरहानपुर के नागझिरी घाट पर श्रीराम नवयुवक सार्वजनिक गणेश उत्सव समिति के 2 कलाकारों ने केले के रेशे से ईको फ्रेंडली भगवान श्री गणेश की प्रतिमा का निर्माण किया है, जो शहर में आकर्षण और जनचर्चा का विषय बनी हुई है.
कलाकार रूपेश प्रजापति ने बताया कि इस साल हमने जिले में सर्वाधिक उत्पादित होने वाली केला फसल पर फोकस किया है. इस साल हमने जो ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति तैयार की है उसमें केला, केले का पेड़, केले के फायबर, पलाश के पत्ते का उपयोग कर तैयार किया है. दो कलाकारों ने महज आठ दिन में यह मूर्ति तैयार की है.
बता दें कि इस मूर्ति को बनाने वाले रूपेश प्रजापति और अश्विन नौलखे है. ये दोनों कोई पेशेवर कलाकार नहीं है. रूपेश प्रजापति बैंक में अभिकर्ता का काम करते है, जबकि अश्विन नवलखे एमबीए के छात्र हैं. दोनों युवाओं ने अपनी रचनात्मक सोच और लोगों को जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण नहीं करने के साथ साथ फिजुल खर्च रोकने के अपने संदेश को इस तरह ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति बनाकर आकार दिया है.
समिति 9 साल से बना रहे ईको फ्रेंडली गणेश
गणेश मंडल के रूपेश प्रजापति ने बताया कि उनकी समिति 22 साल से हर साल गणेश उत्सव के दौरान गणेश जी की मूर्ति स्थापित करता चला आ रहा है. पिछले 9 साल से ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति बनाते चले आ रहे हैं. उन्हें इसकी प्रेरणा शहर के एक गणेश मंदिर में बर्तन से बनी गणेश जी की मूर्ति देखकर मिली थी. ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति की स्थापना हमारे द्वारा बर्तन के गणेश जी की मूर्ति बनाकर की गई. लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिलने पर मंडल ने हर साल ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने का निर्णय लिया.
दर्शक कर रहे खूब पसंद
लगातार 9 साल से इस मंडल द्वारा ईको फ्रेंडली के साथ साथ आकर्षक और रचानात्मक गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती रही है. गणेश उत्सव के समय जैसे जैसे नजदीक आता जाता है लोग इन कलाकारों से यह पूछना शुरू कर देते है कि इस साल किस थीम का ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति बना रहे है, लेकिन कलाकार द्वारा इसे पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है और गणेश उत्सव के पहले दिन अपनी मूर्ति को प्रदर्शित किया जाता है.