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Chandel Era Ponds: बुंदेलखंड की चंदेलकालीन बावड़ियों को मिलेगी नई पहचान, छतरपुर पहुंची सर्वे टीम

Survey of Chandel Era Ponds: बुंदेलखंड में चंदेल कालीन बावड़ियों के संरक्षण करने के लिए प्रदेश सरकार और पुरातत्व विभाग द्वारा उठाए कदम के तहत हजारों बावड़ियों का सर्व किया जाएगा. सर्वे के जरिए सरकार जानने की कोशिश करेगी कि चंदेल काल में पथरीले इलाकों में पानी को कैसे सुरक्षित रखा जाता था.

Chandel Era Ponds: बुंदेलखंड की चंदेलकालीन बावड़ियों को मिलेगी नई पहचान, छतरपुर पहुंची सर्वे टीम

Chandel Era Wells: बुंदेलखंड में पानी की समस्या के निदान के लिए मध्य प्रदेश सरकार की पहल पर पुरातत्व विभाग चंदेल कालीन बावड़ियों को नई पहचान देने के लिए छतरपुर में सर्वे कर करवा रही है. ब्रिटिश काल और राजशाही काल में बावड़ियों की दशा बिगड़ गई थी, जिससे बुंदेलखंड में पानी की समस्या विकराल होती गई हैं.

बुंदेलखंड में चंदेल कालीन बावड़ियों के संरक्षण करने के लिए प्रदेश सरकार और पुरातत्व विभाग द्वारा उठाए कदम के तहत हजारों बावड़ियों का सर्व किया जाएगा. सर्वे के जरिए सरकार जानने की कोशिश करेगी कि चंदेल काल में पथरीले इलाकों में पानी को कैसे सुरक्षित रखा जाता था.

बुंदेलखंड की बावड़ियों को मिलेगी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान

मध्य प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड की बावड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए चंदेल कालीन बावड़ियों का सर्व करवा रही है. सरकार बावड़ियों को संवारने का काम भी करेगी. छतरपुर पहुंची पुरातत्व विभाग ने पथरीले इलाकों में पानी को सुरक्षित रखने वाली चंदेल कालीन बावड़ियों का निरीक्षण कर रही है. 

हजारों साल पुरानी बावड़ियों की सुरक्षा और सुधार के प्रयास

भारतीय पुरातत्व विभाग और मध्य प्रदेश सरकार बुंदेलखंड की हजारों साल पुरानी चंदेल कालीन बावड़ियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए यह अनूठा कदम उठाया है. इसी क्रम में सर्वे टीम मध्य प्रदेश के भोपाल से वैष्णवी प्रशांत छतरपुर और पन्ना जिले से पहले टीकमगढ़ पहुंची है और वहां मौजूद हजारों साल पुरानी खंडहर पड़ी बावड़ियों का निरीक्षण किया है.

टीकमगढ़ जिले में चंदेल कालीन 6 बावड़ियों का निरीक्षण किया

रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे टीम ने टीकमगढ़ जिले में मौजूद चंदेल कालीन 6 बावड़ियों का निरीक्षण कर लिया है. टीम ने टीकमगढ़ के खंडहर हो चुकी कुल 6 बावड़ियों का निरीक्षण किया है, इनमें कुराई गांव की बावड़ी, दिगौड़ा का किला और बावड़ी, मोहनगढ़ का किला बाबरी और केशवगढ़ की बावड़ी प्रमुख हैं. टीम सर्वे रिपोर्ट पुरातत्व विभाग को भेजेगी.

चंदेलकालीन बावड़ियों को भारतीय इंजीनियरिंग का बड़ा नमूना करार देते हुए पूर्व विधायक उमेश शुक्ला ने कहा कि चंदेल काल में पानी को कैसे संरक्षण किया जाता था. उन्होंने कहा कि छतरपुर विधानसभा क्षेत्र में बावड़ियों के सर्वे से पानी को संरक्षित रखने के गुर सीखे जा सकेंगे.

पुरानी बावड़ियों के जीर्णोद्धार से खत्म होगी पानी की समस्या

बकौल पूर्व विधायक, मध्य प्रदेश सरकार और पुरातत्व विभाग के अनूठे प्रयास से हजारों साल पुरानी बावड़ियों का जीर्णोद्धार किया जाता है तो बुंदेलखंड में आने वाली पीढ़ी के लिए पानी की समस्या नहीं होगी. इसके साथ ही, बुंदेलखंड की पहचान बावड़ियों के सरंक्षण से गर्मियों का मौसम में बुंदेलखंड में पानी की समस्या कम होगी.

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