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बजट 2024: शिवराज के गृहनगर सीहोर के किसानों को उम्मीद- गेहूं-सोयाबीन पर बढ़ेगी MSP

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट 23 जुलाई को पेश करेंगी. इस बजट पर देश का किसान भी टकटकी लगाए बैठा है. खासकर मध्यप्रदेश के किसान. दरअसल अन्नदाता के हाथ हमेशा कुछ देने के लिए ही उठते हैं लेकिन साल में एक दिन ऐसा भी आता है जब उसकी आंखें दिल्ली की ओर टिक जाती हैं. वो ये जानना चाहता है कि इस बजट में उसके लिए क्या खास है?

बजट 2024: शिवराज के गृहनगर सीहोर के किसानों को उम्मीद- गेहूं-सोयाबीन पर बढ़ेगी MSP

Budget 2024 news: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट 23 जुलाई को पेश करेंगी. इस बजट पर देश का किसान भी टकटकी लगाए बैठा है. खासकर मध्यप्रदेश के किसान. दरअसल अन्नदाता के हाथ हमेशा कुछ देने के लिए ही उठते हैं लेकिन साल में एक दिन ऐसा भी आता है जब उसकी आंखें दिल्ली की ओर टिक जाती हैं. वो ये जानना चाहता है कि इस बजट में उसके लिए क्या खास है? इन्हीं किसानों की उम्मीदों को टटोलने के लिए NDTV की टीम राजधानी भोपाल से ही सटे सीहोर पहुंची जहां से देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान आते हैं. 

किसानों के पास है मांगों की लंबी सूची

सीहोर वो इलाका है जो देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है. खुद शिवराज भी किसान पृष्ठभूमि से ही आते हैं और मध्यप्रदेश में मामा के नाम से मशहूर हैं. सीहोर वो जिला है जिसकी मिट्टी गहरी काली है. यहां खरीफ में लगभग 3.50 लाख हेक्टयर और रबी में 3.56 लाख हैक्टयर रकबे में खेती होती है. यहां खेती के रकबे का 86 प्रतिशत हिस्सा सिंचित है,जहां सोयाबीन, धान, अरहर और मक्के की खेती की जाती है. सीहोर का शरबती गेहूं देश में ही नहीं विदेश में भी अपनी खास पहचान रखता है. यहां के किसानों के पास मांगों और उम्मीदों की एक पूरी सूची है, जिनके बारे में उन्हें उम्मीद है कि उसे बजट में संबोधित किया जाएगा. 

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सीहोर के चंदेरी गांव में हमें सबसे पहले मिले रमेशचंद वर्मा. वे बड़े किसान हैं और ज्यादातर गेंहू और सोयाबीन उगाते हैं. वे कहते हैं कि सभी किसान शिवराज मामा से उम्मीद करते हैं कि वे एमएसपी और भंडारण व्यवस्था में बढ़ोतरी करेंगे। कई बार किसानों को लोन लेने, वेयरहाउस बनाने और बीज भंडारण में मान्यता प्राप्त करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है. इसकी व्यवस्था सरकार जल्द करे. 

केंद्रीय बजट में किसानों के लिए जिला सहकारिता बैंक द्वारा दिए जा रहे 10 हज़ार रुपए प्रति एकड़ की लिमिट को बढ़ाकर 60 हज़ार रुपए एकड़ किया जाए. सहकारिता बैंक से शून्य प्रतिशत ब्याज पर 10 हज़ार मिल रहे हैं वही अगर दूसरी बैंक की बात करें तो वह 7 प्रतिशत में 60 हज़ार रुपए दे रहे हैं. सरकार से निवेदन है कि लिमिट बढ़ाई जाए. 

रमेशचंद वर्मा

किसान, चंदेरी

वहीं किसान बन्ने सिंह ने भी अपनी उम्मीदें हमसे साझा की. वे अपने खेतों में तकनीक को प्राथमिकता देते हैं, जैविक खेती भी करते हैं लेकिन बीज देरी से मिलने से परेशान हैं. वो ये भी चाहते हैं जैविक उत्पाद बेचने की मंडी सुलभ हो और बिचौलिये खत्म हों. 

प्रधानमंत्री से निवेदन है कि किसानों को सही समय पर बीज उपलब्ध हो, इस बार उपलब्ध हुआ बीज बोनी होने के बाद मिला था. प्रधानमंत्री से निवेदन है कि सरकार द्वारा मिल रहे किसान सम्मान निधि रकम को बढ़ाकर 10 हजार करना सुनिश्चित करें और किसानों के अनुदान पर लग रही जीएसटी को खत्म करें. 

बन्ने सिंह राजपूत

किसान

 इसके बाद जब हम आगे बढ़े तो हमें मिले अनूप मेवाड़ा. वे छोटे किसान हैं. वे चाहते हैं कि  गेहूं पर मिल रहे न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2700 से 3000 रुपए किया जाए. उनका कहना है कि पिछले साल सोयाबीन 5000 रुपए बिका था वही इस साल 4500 हजार रुपए में ही बिक पाया, इस से किसान को घाटा झेलना पड़ा. इसे 5 से 6 हज़ार रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाना चाहिए. इसके बाद हमारी मुलाकात किसान MS मेवाड़ा से हुई. वे इलाके के किसानों में खासे लोकप्रिय हैं. वे हर गांव में घूमते हैं और किसानों की समस्याओं की गहरी समझ रखते हैं. उनका कहना है कि

जब से हमारे क्षेत्र से शिवराज सिंह चौहान कृषि मंत्री बने हैं तब से हमारी उम्मीदें और बढ़ चुकी है. वह खुद एक किसान के बेटे हैं, उन्होंने स्वयं हल चलाया है. प्रधानमंत्री से निवेदन है कि किसानों की समस्या जल्द हल करें . पहले सोलर पंप और कई कृषि उपकरणों पर सब्सिडी मिलती थी जिसे सरकार ने खत्म कर दिया, उसे दोबारा शुरू की जाए.

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को मिल रही रकम को 6 हज़ार से बढ़ाकर 10 हज़ार किया था, अब प्रधानमंत्री से उम्मीद है कि इस बजट में पूरे देश के किसानों को 10 हज़ार रुपए ही मिले, किसी के साथ अन्याय ना हो. 

 क्यों खास हैं सीहोर के किसान? 

“शरबती” गेहूं देश में उपलब्ध गेहूं की सबसे प्रीमियम किस्म है. शरबती सीहोर क्षेत्र में बहुतायत में पैदावार की जाती है . सीहोर क्षेत्र में एक काली और जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी है जो शरबती गेहूं के उत्पादन के लिए उपयुक्त है. जैसा कि नाम से पता चलता है, शरबती किस्म का गेहूँ टेस्ट में थोड़ा मीठा होता है, शायद अन्य गेहूँ की किस्मों की तुलना में इसमें ग्लूकोज और सुक्रोज़ जैसे सरल शर्करा की मात्रा अधिक होती है. जिला सीहोर में “शरबती गेहूं” 40390 हेक्टेयर क्षेत्र में बोया जाता है और वार्षिक उत्पादन 109053 एमटन है.

सोयाबीन जिले की मुख्य फसल है जिले में सोयाबीन 275161 हेक्टेयर क्षेत्र में बोई जाती है तथा इसका वार्षिक उत्पादन 338448 में. टन है. जिले में सोयाबीन की कम अवधि में पकने वाली वाली . प्रगति जे. एस.-9560, जे. एस.-9305 है। लम्बी अवधी की आर. व्ही एस -2001 -4 , जे. एस.-2034, जे. एस.-2029 है जिनका उत्पादन काम क्षेत्र में अधिक होता है.

सीहोर जिले के बुदनी क्षेत्र में बासमती चावल लगाया जाया है जो प्रदेश में प्रसिद्द है.जिले में कुल धान 31866 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाया जाता है तथा इसका वार्षिक उत्पादन 134532 में.टन है. जबकि बासमती धान 16532 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाया जाता है तथा इसका वार्षिक उत्पादन 57862 में. टन है. जिले में लगाए जाने वाले बासमती धान की वैरायटी पूसा बासमती धान-1121, सी एस आर -30, पूसा बासमती धान-3 लगाया जाता है.

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