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एमपी के दो बड़े विभागों में तकरार, क्या है 62 करोड़ रुपये के घोटाले का खेला! मंत्री बोले- ये क्या मामला...?

PWD Vs EOW Department: मध्य प्रदेश के प्रशासनिक खेमे में सूबे के दो बड़े विभागों के बीच टकराव जारी है. ये दो विभाग हैं, पहला पीडब्ल्यूडी और दूसरा ईओडब्ल्यू विभाग. जानें इन दोनों विभागों के बीच क्यों इन दिनों भोपाल में गहमागहमी चल रही है.

एमपी के दो बड़े विभागों में तकरार, क्या है 62 करोड़ रुपये के घोटाले का खेला! मंत्री बोले- ये क्या मामला...?
एमपी के दो बड़े विभागों में तकरार, क्या है 62 करोड़ रुपये के घोटाले का खेला! मंत्री बोले- ये क्या मामला है?

Madhya Pradesh Government: मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के एक मामले को लेकर दो विभाग आमने-सामने आ गए हैं, प्रदेश की जांच एजेंसी राज्य अपराध अन्वेषण ब्यूरो पर बड़ा जिम्मा है. वहीं, मध्य प्रदेश का लोक निर्माण विभाग पीडब्ल्यूडी हमेशा से चर्चा में रहता है. करीब 12 करोड़ रुपये से ज्यादा के भ्रष्टाचार के मामले में ईओडब्ल्यू अधिकारियों और कंपनी मालिक ठेकेदार की जांच करना चाहता है. लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग इसके लिए तैयार नहीं है.उल्टा उसने जांच एजेंसी को कानून का पाठ पढ़ा दिया.

जानें पूरा मामला

जबलपुर वाले मामले में आर्थिक अनियमितता पर ईओडब्ल्यू ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी, पीडब्लूडी से कागजात मांगे तो उन्होंने मना कर दिया.

भोपाल संभाग में 119, ग्वालियर में 72 और जबलपुर में 69 पुलों के निर्माण के लिए कंसल्टेंसी एजेंसी नियुक्त करने के लिए टेंडर निकाला, शर्त थी कि किसी भी एक एजेंसी को दो से ज्यादा पैकेज न दिए जाएं, पीडब्ल्यूडी ने तीनों पैकेज एलएन इंफ्रा एलएन मालवीय को दे दिए और 62 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया. 

मंत्री राकेश सिंह ने ये कहा...

इस मामले में विभाग के मंत्री राकेश सिंह को पता ही नहीं माजरा क्या है? ईओडब्ल्यू की जांच के दौरान  सामने आया कि अब तक इस प्रोजेक्ट में केवल 47 प्रतिशत ही काम हुआ है, लेकिन भुगतान 213 प्रतिशत कर दिया गया.इस मामले पर लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा, "ये क्या मामला है इस मामले को में दिखवाता हूं जो भी होगा नियम अनुसार होगा",

27 एक्सपर्ट के नाम दिए

आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने बाकायदा एक पत्र लिखकर भ्रष्ट अधिकारियों से जुड़े हुए दस्तावेज मांगे तो पीडब्ल्यूडी कानूनी दलीलें देने लगा.

मज़े की बात है तीन पैकेज का टेंडर पाने के लिए जिन 27 एक्सपर्ट के नाम दिए, वे टेंडर पारित होने तक स्वस्थ थे, लेकिन तीन महीने में इतने बीमार हो गए कि सभी को बदलने की नौबत आ गई, ये नाम भी बदलने की मंजूरी विभाग ने दे दी.

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क्यों तमतमा हुए हैं ये

इस मामले पर ईओडब्ल्यू के अधिकारी तमतमा हुए हैं, उनका सीधा तौर पर कहना है कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी तय नहीं करेंगे, किसकी जांच होना है, किसकी नहीं. जांच हम करके रहेंगे. यदि उन्होंने दस्तावेज नहीं दिए तो हम रेड करने से पीछे नहीं हटेंगे. खास बात ये है कि सरकार के 2 विभाग भिड़े पड़े हैं, एक ठेकेदार को बचाने के लिए.

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