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Bhopal Gas Tragedy: आज भी भूजल प्रदूषण से मौतों का सिलसिला है जारी, जहरीले पानी से बिगड़ रही है सेहत

The Bhopal Gas Disaster of 1984: भोपाल गैस त्रासदी के अलावा यूनियन कार्बाइड का ‘सौर वाष्पीकरण तालाब’ भूजल प्रदूषण का मुख्य कारण है. इस तालाब में डाले गए खतरनाक रसायन भूजल में मिलकर इसे जहरीला बना रहे हैं. वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा कहती है कि इन जहरीले रसायनों में परसिस्टेंट ऑर्गेनिक पोल्यूटेंट्स शामिल हैं, जो दुनिया के सबसे खतरनाक रसायनों में गिने जाते हैं.

Bhopal Gas Tragedy: आज भी भूजल प्रदूषण से मौतों का सिलसिला है जारी, जहरीले पानी से बिगड़ रही है सेहत

Bhopal Gas Disaster: 1984 की भोपाल गैस त्रासदी को करीब चार दशक हो चुके हैं, लेकिन इसके दुष्प्रभाव आज भी हजारों लोगों के जीवन को निगल रहे हैं. यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के पास स्थित इलाकों का भूजल आज भी जहरीला है, जो स्थानीय निवासियों के लिए एक गंभीर संकट बन चुका है. आशीष मजूमदार, निशातपुरा की ब्रज विहार कॉलोनी के निवासी हैं. वह इस दर्द के एक उदाहरण हैं. पिछले ढाई सालों में उन्होंने अपने माता-पिता और दो भाइयों को खो दिया. डॉक्टरों के मुताबिक, इस त्रासदी का कारण जहरीला पानी पीना है.

पीड़ितों ने ये बताई कहानी

आशीष कहते हैं कि मेरे पूरे परिवार की मौत जहरीले पानी के कारण हुई. मैं खुद भी गंभीर त्वचा रोग से जूझ रहा हूं. लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी मेरी समस्याएं खत्म नहीं हुईं. इसके अलावा, ब्रज विहार और आसपास के इलाकों में रहने वाले कई लोग त्वचा, हड्डियों और किडनी से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे हैं. गैस त्रासदी की आज भी मार झेल रही धनवंती बताती हैं कि 16 साल से यहां हूं और तब से बीमारियां पीछा नहीं छोड़ रही हैं. मेरे बच्चों की सेहत भी खराब हो रही है. वहीं, अनुराधा बताती है कि बोर का पानी इतना खराब है कि इसे देखकर लगता है जैसे उसमें सफेद पाउडर घुला हुआ हो. मेरे बेटे को पथरी हो गई है.

42 इलाकों में है जहरीला भूजल

2012 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च ने यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के आसपास 22 जगहों का भूजल जहरीला पाया. इसके बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किए गए नए सर्वे में 20 और इलाकों का भूजल प्रदूषित पाया गया, जिससे यह संख्या 42 हो गई. इस मामले पर स्थानीय निवासी मयंक कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इन इलाकों में साफ पानी की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं, लेकिन कई जगह अब भी जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं.

यूनियन कार्बाइड का ‘सौर वाष्पीकरण तालाब' हैं प्रदूषण की जड़

भोपाल गैस त्रासदी के अलावा यूनियन कार्बाइड का ‘सौर वाष्पीकरण तालाब' भूजल प्रदूषण का मुख्य कारण है. इस तालाब में डाले गए खतरनाक रसायन भूजल में मिलकर इसे जहरीला बना रहे हैं. वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा कहती है कि इन जहरीले रसायनों में परसिस्टेंट ऑर्गेनिक पोल्यूटेंट्स शामिल हैं, जो दुनिया के सबसे खतरनाक रसायनों में गिने जाते हैं.

नगर निगम ने दिलाया भरोसा

भोपाल नगर निगम के अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि पानी की समस्या का जल्द समाधान किया जाएगा. भोपाल नगर निगम के अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी कहते हैं कि हम स्थिति को गंभीरता से लेंगे और स्वच्छ जल आपूर्ति की योजना बनाएंगे. हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि अब भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

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40 साल बाद भी त्रासदी का अंत नहीं

यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के पास के कई इलाके वीरान हो चुके हैं. यहां कभी 80 परिवार रहते थे, लेकिन अधिकांश लोग जहरीले पानी और लगातार बीमारियों के कारण क्षेत्र छोड़ चुके हैं. दरअसल, भोपाल गैस त्रासदी के दुष्प्रभाव खत्म होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं. जहरीले पानी की समस्या को जल्द हल नहीं किया गया, तो यह इलाका पूरी तरह से खाली हो सकता है और मौतों का यह सिलसिला चलता रहेगा. यूनियन कार्बाइड की विरासत भोपाल के निवासियों के लिए जहर बन चुकी है. ऐसे में लोगों को न्याय और समाधान की दरकार है.

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