
Bhopal District Court: भोपाल जिला कोर्ट के 23वें अपर सत्र न्यायाधीश अतुल सक्सेना ने एक माह की मासूम बच्ची की निर्मम हत्या करने वाली मां को आजीवन कारावास की सुनाई है. उसके अलावा कोर्ट ने दोषी महिला सरिता मेवाडा पर 1000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. इस मामले में सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुधा विजय सिंह भदौरिया ने पैरवी की थी.
भोपाल के खजुरी इलाके में रहने वाली सरिता ने 16 सितंबर, 2020 को अपनी बेटी किंजल को पानी की टंकी में फेंक दिया था, फिर उसने टंकी का ढक्कन बंद कर दिया. इससे उसकी मौत हो गई थी. जब उसके पति सचिन मेवाडा ने घर लौटने पर बेटी के बारे में पूछा तो रोने लगी.
बेटे की थी उम्मीद
महिला ने बताया कि उसने ही अपनी एक माह की बेटी किंजल को पानी की टंकी में फेंककर ढक्कन बंद कर दिया. सरिता का कहना था कि उसे बेटे की उम्मीद थी, लेकिन बेटी पैदा हुई. उसका कहना था कि जब भी वह बेटी को देखती तो खुद को कोसती थी. इसलिए उसने घर पर किसी के न होने का मौका देखा और पानी की टंकी में फेंक दिया. डर के कारण किसी को भी इसके बारे में नहीं बताया.
कोर्ट ने बेटियों की बताई अहमियत
मामले में फैसला सुनाते हुए भोपाल जिला कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा, वर्तमान मे पुत्रियां सभ्यता, सस्ंकृति व राष्ट्र निर्माण का सशक्त हस्ताक्षर हैं. शास्त्रों मे पुत्रियों को हद्रयों का बंधन, भावों का स्पंदन, सृजन का आधार, भक्ति का आकार और संस्कृति का संस्कार माना गया है. वर्तमान मे भारत जैसे विकसित राष्ट्र मे पुत्रियों को साहस, सृजन, सेवा, सभ्यता, सौंदर्य एवं शक्ति के पुंज के रूप मे देखा जा रहा है.
रविंद्रनाथ टैगोर की पंक्तियों को सुनाया
कोर्ट ने अपने फैसले में रविंद्रनाथ टैगोर की पंक्तियों को सुनाते हुए कहा कि जब एक पुत्री का जन्म होता है तो यह इस बात का सबूत है कि ईश्वर मानव जाति से अप्रसन्न नहीं है, क्योंकि ईश्वर पुत्रियों के माध्यम से स्वयं को साकार रूप देता है.