
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Religion Conversion) की राजधानी भोपाल (Bhopal) से एक बार फिर धर्मांतरण का मामला सामने आया है. यहां पर बिना लाईसेंस के चलाए जा रहे बालगृह में गुपचुप तरीके से ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही थी. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने एक्स पर ट्वीट किया है और सरकार से जल्द कार्रवाई की मांग की है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मिशनरी द्वारा संचालित अवैध बाल गृह को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. बता दें कि यहां पर बिना लाईसेंस के चलाए जा रहे बालगृह में गुपचुप तरीके से ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही थी. मिली जानकारी के अनुसार, बालगृह में 6 से 18 साल तक की 40 से ज्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू धर्म की हैं. बताया जा रहा है कि बाल गृह में बच्चों को बिना सरकार को सूचना दिए लाया जाता था.
कैसे हुआ इस मामले का खुलासा
बता दें कि ये खुलासा उस दौरान हुआ, जब राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो भोपाल के आंचल चिल्ड्रन होम का निरीक्षण करने पहुंचे. निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि यहां की संचालक NGO सरकारी एजेंसी की तरह चाइल्ड लाइन पार्ट्नर के रूप में कार्यरत रही है. इसके अलावा इसने सरकारी प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए जिन बच्चों को सड़कों से रेस्क्यू किए हैं उनको बगैर सरकार को सूचना दिए बिना लाईसेंस चलाए जा रहे है स्वयं के इस बाल गृह में गुपचुप तरीके से उन्हें रख कर ईसाई धार्मिक प्रैक्टिस करवाई जा रही है.
प्रियंक कानूनगो ने एक्स पर पोस्ट शेयर कर कहा, 'यहां की संचालक NGO सरकारी एजेंसी की तरह चाइल्ड लाइन पार्ट्नर के रूप में कार्यरत रही हैं. काफ़ी कठिनाई के बाद पुलिस ने FIR दर्ज की है. दुर्भाग्य से मध्य प्रदेश के महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ऐसी ही NGO से चाइल्ड हेल्पलाइन ठेके पर चलवाना चाहते हैं.
6 साल से 18 साल तक की 40 से ज़्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू
प्रियंक कानूनगो ने इस पूरे मामले को लेकर NDTV से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि सरकार जब NGO संचालक को निर्धारित करती है तब उनसे ये उम्मीद की जाती है कि वो जो भी बच्चों को रेस्क्यू करें उसकी जानकारी सरकारी दस्तावेजों में जरूर दें, लेकिन इस मिशनरी बाल गृह ने बच्चों को रेस्क्यू तो किया, लेकिन उनको अवैध तरीके से एम बाल गृह में डाल दिया और वहां पर जब वो पहुंची तो यह जानकारी मिली कि वहां पर अधिकांश बच्चे हिंदू हैं जिनको ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही है.
सरकारी अधिकारियों को बताए बिना बच्चों को चाइल्ड केयर होम में डालना अपराध
प्रियंक ने आगे बताया कि कई ऐसे बच्चे होते हैं जो कि अनाथ होते हैं या सड़कों पर भीख मांग रहे होते हैं या रेलवे स्टेशन पर रेस्क्यू किए जाते हैं उनका रेस्क्यू सरकार की जवाबदारी है, लेकिन सरकारी अधिकारियों को बिना बताए उन्हें किसी चाइल्ड केयर होम में डालना पूरी तरह एक अपराध है.
राजधानी भोपाल के जिस इलाके में ये चाइल्ड केयर होम संचालित हो रही थी वो आबादी से बेहद ही दूर है. दरअसल, JJ एक्ट के मुताबिकि आपको आबादी के अंदर ही अपना बाल गृह संचालित करना ज़रूरी है, क्योंकि जिससे आबादी के बीच में ही बच्चों की केयर की जा सके.
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