Bhopal AIIMS Doctor Rashmi Verma Case: भोपाल एम्स की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रश्मि वर्मा के आत्महत्या के प्रयास ने दिल्ली तक हलचल मचा दी है. डॉ. रश्मि ने एनेस्थीसिया का हाई डोज इंजेक्शन लगाया था, जिससे उनकी हालत बिगड़ गई. फिलहाल, रश्मि वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं, उनका ब्रेन गंभीर रूप से डैमेज हुआ है. उनकी हालत में कब सुधार होगा डॉक्टर यह साफतौर पर नहीं बता पा रहे हैं.
बताया जा रहा है, डॉ रश्मि ने काम के दबाव और गुटबाजी से परेशान होकर खुदकुशी की कोशिश की है. इस मामले को एम्स प्रशासन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी गंभीरता से लिया है. रविवार को बैठक के बाद मामले की जांच के लिए एक गोपनीय कमेटी बनाई गई, जो अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्र को भेजेगी. साथ ही, HOD डॉ. मोहम्मद यूनुस को भी पद से हटा दिया गया है.
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, डॉ. रश्मि वर्मा अस्पताल से केनुला यानी IV लाइन लगवाकर घर गई थीं. जहां, उन्होंने एनेस्थीसिया (बेहोशी) की हाई डोज दवा खुद को इंजेक्ट कर ली. केनुला के कारण दवा सीधे नस में गई और कुछ ही मिनटों में उसका असर गया. कुछ देर बाद डॉ. रश्मि के पति ने उन्हें बेहोश देखा तो एम्स लेकर पहुंचे. इस सब में करीब 25 मिनट खराब हो गए. साथ ही, जब तक उन्हें एम्स लाया गया, तब तक कार्डियक अरेस्ट हो चुका था, हार्टबीट जा चुकी थी. इमरजेंसी में डॉ. रश्मि को सीपीआर दिया गया, करीब सात मिनट बाद उनकी हार्टबीट वापस लौटी, लेकिन तब तक उनके ब्रेन को गंभीर नुकसान हो चुका था.
साथियों ने लगाए आरोप
डॉ. रश्मि इमरजेंसी विभाग की अस्टिटेंट प्रोफसर हैं. उनके साथियों ने आरोप लगाया कि विभागाध्यक्ष काम का दवाब बनाते थे, विभाग में गुटबाजी है. इसी के चलते डॉ. रश्मि के आत्महत्या का प्रयास करने की बात सामने आ रही है.
छुट्टी के दिन हाईलेवल मीटिंग, गोपनीय कमेटी बनाई
डॉ. रश्मि का मामले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तक पहुंच गया है. जिसके बाद रविवार को छुट्टी के दिन भी एम्स प्रबंधन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की आपात बैठक हुई. इस बैठक में संकेत मिले कि यह मामला सिर्फ व्यक्तिगत तनाव का नहीं, बल्कि टॉक्सिक वर्क कल्चर और प्रशासनिक दबाव से भी जुड़ा हो सकता है. चूंकि कोई सामने नहीं आ रहा है इसलिए एम्स ने मामले की जांच के लिए गोपनीय कमेटी बनाई है, जो अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्र को भेजेगी.
HOD डॉ. मोहम्मद यूनुस हटाए गए
बैठक के बाद ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग के HOD डॉ. मोहम्मद यूनुस को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया. उन्हें एनेस्थीसिया विभाग से अटैच किया गया है, जहां वे अब रिपोर्टिंग भूमिका में काम करेंगे. इसके साथ ही एम्स ने ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग को अलग करने का बड़ा फैसला लिया. अब ट्रॉमा विभाग न्यूरोसर्जरी के अंतर्गत काम करेगा, जबकि इमरजेंसी मेडिसिन मेडिसिन विभाग के अधीन रहेगा.
हाई लेवल कमेटी करेगी जांच
अब इस पूरे मामले की जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी गठित की जाएगी. यह कमेटी गोपनीय रूप से जांच कर अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपेगी. सूत्रों के अनुसार, ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग में पहले भी एक महिला डॉक्टर ने HOD के खिलाफ शिकायत की थी, जिसकी जांच रिपोर्ट अब तक लंबित है.