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This Article is From Apr 05, 2025

Bhoj Open University News : विश्वविद्यालय की नियुक्तियां रद्द, हाई कोर्ट ने दी दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की हिदायत

Bhoj Open University : भोज मुक्त विश्वविद्यालय कभी अपनी भर्ती परीक्षाओं को लेकर तो कभी विवि के अंदर चल रहे मामलों को लेकर हमेशा से चर्चित रहा है. ताजा अपडेट के मुताबिक, एमपी हाई कोर्ट ने भोज मुक्त विश्वविद्यालय की नियुक्तियां रद्द कर दी है.

Bhoj Open University News : विश्वविद्यालय की नियुक्तियां रद्द, हाई कोर्ट ने दी दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की हिदायत
(फाइल फोटो)

Bhoj Open University  Appointments Cancelled : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की युगलपीठ ने भोज मुक्त विश्वविद्यालय को झटका दिया है. भोपाल स्थित विवि में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर सहित अन्य पदों पर की गई नियुक्तियों को पक्षपातपूर्ण और प्रक्रियागत त्रुटियों से ग्रसित करार दिया गया है. कोर्ट ने नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के निर्देश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय प्रशासन को नए सिरे से विज्ञापन जारी कर पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाने के सख्त आदेश दिए.

इस की भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा है मामला 

वर्ष 2015 में विश्वविद्यालय द्वारा इन पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. हालांकि, नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं. अपील में बताया गया कि चयन समिति में विषय विशेषज्ञों को शामिल नहीं किया गया था, बल्कि उनके स्थान पर असंबंधित विषयों के विशेषज्ञों से साक्षात्कार करवाए गए, जो नियमानुसार, अवैध है.

UGC के मापदंडों की अवहेलना की

चयन समिति पर यह भी आरोप लगे कि उसने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित मापदंडों की अवहेलना की. कई अभ्यर्थियों के शैक्षणिक दस्तावेजों की समुचित जांच नहीं की गई, और अंकों की तालिकाओं में बिना किसी स्पष्टीकरण के कई कॉलम खाली छोड़ दिए गए. इसके अतिरिक्त, साक्षात्कार में मनमाने तरीके से कुछ अभ्यर्थियों को अत्यधिक अंक देकर अन्य अधिक योग्य उम्मीदवारों की उपेक्षा की गई, जिससे चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग गया.

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दूषित चयन प्रक्रिया को वैध नहीं ठहराया जा सकता- कोर्ट

अपील में यह भी उल्लेख किया गया कि मूल विज्ञापन में महिला और दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण का उल्लेख नहीं किया गया था. साथ ही, आरक्षण रोस्टर उच्च शिक्षा विभाग के नियमानुसार तैयार नहीं किया गया था, जिससे पूरी प्रक्रिया संदिग्ध हो गई. इस प्रक्रिया के विरुद्ध जब चयनित अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट की एकलपीठ में याचिका दायर की, तो उन्हें राहत मिल गई थी. लेकिन अब उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने उस निर्णय को रद्द करते हुए स्पष्ट किया कि इतनी दूषित चयन प्रक्रिया को वैध नहीं ठहराया जा सकता. कोर्ट ने निर्देश दिए कि विश्वविद्यालय नई और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत पदों के लिए पुनः विज्ञापन जारी करे और नियमों के अनुरूप चयन प्रक्रिया पूर्ण करें.

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