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MP News: एमपी पुलिस ने 51 लाख रुपये कीमत के 221 मोबाइल फोन की बरामद, जानें- आखिर क्यों एक भी आरोपी नहीं हुआ गिरफ्तार

Bhind Hindi News: मध्य प्रदेश के भिंड जिले में पुलिस ने एक  साथ 221 मोबाइल फोन बरामद कर उनके मालिकों तक पहुंचा दिया है. हालांकि, इस पूरे मामले में पुलिस ने एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है, जिस पर सवाल उठ रहे हैं. 

MP News: एमपी पुलिस ने 51 लाख रुपये कीमत के 221 मोबाइल फोन की बरामद, जानें- आखिर क्यों एक भी आरोपी नहीं हुआ गिरफ्तार

MP Police News: भिंड पुलिस  (Bhid Police) ने बड़ी सफलता हासिल की है. उसने गुम हुए और चोराए गए मोबाइल फोन बरामद कर उनके मालिकों सौंप दिया. वो भी एक या दो नहीं, बल्कि पूरा का पूरा जखीरा. दरअसल, भिंड पुलिस ने एक साथ 221 मोबाइल फोन जब्त किए है. इनकी कीमत इतनी है कि सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. बरामद हुए मोबाइल की बाजार कीमत 51 लाख रुपये बताई जा रही है. हालांकि, इतनी बड़ी सफलता के बाद भी पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. इसकी वजह ये है कि पुलिस ने इस मामले में एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया.ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये मोबाइल कहां से मिले.

दरअसल, भिंड पुलिस को जिले भर से मोबाइल चोरी और मोबाइल गुम की शिकायतें लगातार मिल रही थीं. शिकायतों का ये आंकड़ा बढ़ते-बढ़ते सैकड़ों की संख्या को पार कर गया. फिर पुलिस एक्शन में आई. एसपी असित यादव ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव पाठक  को इसकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी. एएसपी ने साइबर पुलिस की मदद ली. CEIR का विशेष प्रशिक्षण लिया. इसके बाद मोबाइल को CEIR पोर्टल पर ट्रैकिंग के लिए लगाया. इन मोबाइलों को भिंड पुलिस ने उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड, केरल, असम और छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों से बरामद कर लिया.जब्त किए गए मोबाइल रियलमी, ओपो, विवो, एमआई, सैमसंग, इंफिनिक्स, वनप्लस आदि कंपनियों के हैं, जिनकी संख्या 221 हैं. इनकी कीमत 51 लाख बताई जा रही है.

इन लोगों के थे मोबाइल

यह मोबाइल भारतीय सेवा के जवानों, होम गार्ड, सैनिक, पुलिस जवानों के साथ भूतपूर्व सैनिक, स्कूल कॉलेज के खिलाड़ी, स्टूडेंट, घरेलू महिलाएं, अध्यापक और पत्रकारों के हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कई लोगों को पुलिस ने मोबाइल वितरित किए गए. बाकी मोबाइलों को उनके थाना क्षेत्र से थाना प्रभारी के माध्यम से दिए जाएंगे. लोग पुलिस के हाथों खोया हुआ मोबाइल पाकर खुश दिखे. पुलिस की इस सफलता से जहां लोग खुश दिखे, वहीं पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल भी उठ रहे हैं. दरअसल, इतनी बड़ी संख्या में मोबाइल फोन मिलने के बाद पुलिस ने एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है. एएसपी संजीव पाठक से सवाल पूछा, तो उन्होंने बड़े ही साधारण तरीके से इसका जवाब दिया. उनका कहना है कि मोबाइल चोरी के हो या गुम हो गए हो, किसी भी तरह से हो, लेकिन उनके मालिकों तक पहुंचना जरूरी है.

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यह है असल हकीकत

इस मामले में असल हकीकत यह है कि आपका मोबाइल भले ही चोरी हुआ हो, लेकिन पुलिस उसे एनसीआर में डालती है, जिसमें यह दर्शाया जाता है कि मोबाइल गुम हो गया था. अगर वह मोबाइल चोरी का केस दर्ज करती है, तो उसे मामला दर्ज करना पड़ेगा और फरियादी को कोर्ट से मोबाइल मिलेगा, जिसके कारण पुलिस को कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे. लिहाजा, इस झंझट से बचने के लिए पुलिस चोरी हुए मोबाइलों के प्रकरणों को एनसीआर में डाल देते हैं. इसके बाद जब साइबर सेल की ओर से मोबाइल ट्रेस करके पाने वाला व्यक्ति पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ ठोस कार्रवाई न करते हुए केवल खानापूर्ति करते हुए उसके बयान दर्ज कर लिए जाते हैं, जिसमें वह बताता है कि यह मोबाइल उसे जमीन पर पड़ा मिला था, जो उसने वापस कर दिया है. इस प्रकार मोबाइल चोरी का अपराध गंभीर होने के बावजूद उसे साधारण प्रकरण बनाकर रफा-दफा कर देती है.

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