Madhay Pradesh News: आम तौर पर स्कूल से कॉलेज में एडमिशन मिलते ही छात्र उद्दंड हो जाते हैं, और नियम कायदे कानून उनके लिए बेमानी हो जाते हैं ऐसे में वो ज़्यादा गलतियां करते हैं. इन्हीं गलतियों को सुधारने की सज़ा का प्रावधान भी है. ओम आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज ने ऐसे छात्रों को सुधारने के लिए अनोखी सज़ा देकर उन्हें पर्यवारण से जोड़ दिया है. कॉलेज के छात्र-छात्राओं को सजा के रूप में पौधारोपण का फरमान मिला है. इस अनूठे कदम ने जहां पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया, वहीं विद्यार्थियों में जिम्मेदारी और सेवा भावना को भी जागृत किया है.
इन पौधों से भविष्य में औषधि का निर्माण किया
कॉलेज में कक्षा के दौरान मोबाइल का उपयोग करते हुए पकड़े गए विद्यार्थियों को डॉ. संदीप पाल और अन्य शिक्षकों ने सजा के रूप में पौधारोपण करने का निर्देश दिया. इसे स्वीकार करते हुए, प्रत्येक विद्यार्थियों ने पौधे रोपित किए और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी ली. इस प्रकार बी.ए.एम.एस 2020-21 के विद्यार्थियों ने लगभग 500 विभिन्न प्रजातियों के औषधीय पौधों का रोपण किया है. डॉ. संदीप पाल और शिक्षकों ने पौधारोपण के बाद छात्रों को माफी प्रदान की. यह प्रयास ना केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा, बल्कि इन पौधों से भविष्य में औषधि का निर्माण किया जाएगा. जिसका उपयोग रोगियों के उपचार में भी हो पाएगा.
शिक्षा के साथ सेवा और जिम्मेदारी का पाठ
डॉ. संदीप पाल ने बताया इस पहल का मुख्य उद्देश्य केवल सजा देना नहीं था, बल्कि छात्रों को पर्यावरण संरक्षण और औषधीयों पौधों की महत्ता के प्रति जागरूक करना था. छात्रों ने इस सजा को सकारात्मक रूप में स्वीकार किया और इसे एक जिम्मेदारी और सेवा के रूप में निभाया. इस अनूठी पहल ने कॉलेज के अन्य छात्रों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया, समाज में भी एक सकारात्मक संदेश भेजा.
शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान देना नहीं
डॉ. संदीप पाल और अन्य शिक्षकों ने बताया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान देना नहीं है, बल्कि जीवन के हर पहलू में छात्रों को जिम्मेदार और संवेदनशील बनाना है. इस प्रकार की सजा से छात्रों ने पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझा और साथ ही उसे निभाने का संकल्प लिया. इस प्रकार की सजा पर्यावरण के लिए लाभकारी है, छात्रों के लिए भी एक सीख है कि जिम्मेदारियां केवल कक्षा तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति भी होती हैं. ओम आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज की यह पहल भविष्य में अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है, जहां सजा के रूप में सकारात्मक और रचनात्मक गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाए.