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कौन हैं बलदेव वाघमारे, जिन्हें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से किया सम्मानित

Bharewa Handcraft: मध्य प्रदेश के पारंपरिक जनजातीय भरेवा शिल्प के शिल्पकार बैतूल जिले के बलदेव वाघमारे को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मिला राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार आदिवासी भरेवा शिल्प को राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करती है. भरेवा शिल्प को अभी हाल ही में जीआई टैग भी सम्मानित किया गया है.

कौन हैं बलदेव वाघमारे, जिन्हें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से किया सम्मानित
AADIWASI BHAREWA SHILPKAR BALDEV WAGHMARE HONORED BY PRESIDENT OF INDIA DROPADI MURMU

National Handicrafts Award: बैतूल जिले के शिल्पकार बलदेव वाघमारे को मंगलवार को राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों पुरस्कृत हुए वाघमारे को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में सम्मानित किया गया. आदिवासी भरेवा शिल्प के शिल्पकार वाघमारे बैतुल जिले के हैं. 

मध्य प्रदेश के पारंपरिक जनजातीय भरेवा शिल्प के शिल्पकार बैतूल जिले के बलदेव वाघमारे को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मिला राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार आदिवासी भरेवा शिल्प को राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करती है. भरेवा शिल्प को अभी हाल ही में जीआई टैग भी सम्मानित किया गया है.

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देवताओं के प्रतीकात्मक चित्र बनाते हैं भरेवा शिल्प के कारीगर

गौरतलब है कि भरेवा शिल्प के कारीगर देवताओं के प्रतीकात्मक चित्र बनाते हैं और अंगूठियां और खंजर जैसे आभूषण भी बनाते हैं, जो गोंड परिवारों में विवाह अनुष्ठानों के लिए आवश्यक हैं. शिल्पकार कुछ आभूषण, जैसे कलाईबंद और बाजूबंद, विशेष रूप से आध्यात्मिक गुरुओं या पारंपरिक चिकित्सकों के लिए बनाए जाते हैं.

भरेवा कारीगरों की संख्या में गिरावट को रोकने में दिया योगदान 

राजधानी भोपाल से लगभग 180 किमी दूर बैतूल जिले के कुछ क्षेत्रों में केंद्रित भरेवा समुदाय के बलदेव वाघमारे ने भरेवा कारीगरों की संख्या में गिरावट को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. बैलगाड़ी, मोर के आकार के दीपक, घंटियां और पायल व शीशे के फ्रेम सहित सजावटी कलाकृतियों की विस्तृत श्रृंखला ने इसे अंतर्राष्ट्रीय शिल्प बाजार में पहचान दिलाई है. 

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स्थानीय बोली में, 'भरेवा' का अर्थ है 'भरने वाले'. भरेवा कलाकार गोंड समुदाय की एक उप-जनजाति से संबंधित हैं, जो पूरे भारत में, विशेष रूप से मध्य भारत में फैली हुई है. गोंड समुदाय के रीति-रिवाजों के सामंजस्य बिठाकर विकसित यह शिल्प परंपरा व कौशल का एक अनूठा मिश्रण है.

वाघमारे ने बैतूल के टिगरिया गांव को एक 'शिल्प गांव' में बदल दिया

उल्लेखनीय है वाघमारे ने अपने समर्पित प्रयासों से बैतूल के टिगरिया गांव को एक 'शिल्प गांव' में बदल दिया है, जहां भरेवा परिवार इस अनूठी पारंपरिक कला को संरक्षित और अभ्यास करते रहते हैं. गोंड समुदाय के धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं का गहन ज्ञान रखने वाले भैरवा लोग प्रमुख रूप से भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियां बनाते हैं.

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