Madhay Pradesh News: बड़वानी (Barwani) जिला मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव बगुद के किसान कुदरत की मार से तो परेशान है ही लेकिन शासन-प्रशासन की अनदेखी ने भी उन्हें कहीं का न छोड़ा. यहां कुछ दिन पहले आई बाढ़ ने बड़वानी जिले के नर्मदा (Narmada) के किनारे बसे गांवों को तबाह और बर्बाद कर दिया. सरकार (Government) से भी जो मदद किसानों को मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिल पाई.
खड़ी फसलें डूबीं, मकान भी ढहे
पिछले दिनों प्रदेश में भारी बारिश और नर्मदा के ऊपरी क्षेत्र में बंधे बांधों के गेट खोलने के कारण नर्मदा नदी का जल स्तर अचानक से 138 मी से बढ़कर 142 मी पहुंच गया. जिससे बड़वानी जिले (Barwani District) के नर्मदा किनारे बसे लगभग 65 गांव जलमग्न हो गए. इन गांवो में कई किसानों की खड़ी फसलें डूब गई और खेत खलियान, मकान भी ढह गए.
इस बाढ़ से घर का सामान भी बह गया. बेचारे किसानों की किस्मत तो देखिए खेती किसानी के समान के साथ-साथ उनके कपास गेहूं और मवेशी भी बह गए.
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हताश हो चुके हैं किसान
ग्राम बगुद के किसान रमेश के पास 5 एकड़ जमीन है जिसमें कपास लगाया था. सर्वे के आधार पर रमेश का खेत डूब के बाहर है लेकिन इस बार नर्मदा नदी में आई अचानक बाढ़ से खड़ी फसल डूब गई. 5 एकड़ में लगी कपास की फसल में लगभग डेढ़ लाख रुपए का खर्चा आया. रमेश ने बताया कि तीन-चार साल से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है लेकिन आज
तक का हमारे खेत तक का पानी पहुंचा नहीं था क्योंकि हम लोग डूब से बाहर है लेकिन इस बार जल का स्तर 138 से 142 मी तक पहुंच गया. जिससे इनकी 5 एकड़ फसल बर्बाद हो गई, लेकिन अभी तक प्रशासन की तरफ से इन्हें कोई मदद नहीं मिली है.
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गांव के प्रधान ने साझा किया किसानों का दर्द
गांव बगुद के उप सरपंच सुरेंद्र सोलंकी ने बताया कि किसानों की हालत बहुत खराब है जो किसान डूब से बाहर थे, उनकी भी फसले इस बार डूब गई, किसान अपनी फसले और मकान छोड़कर जैसे-तैसे बाहर निकले. उपसरपंच के अनुसार उनके यहां कोई भी प्रशासनिक अमला सर्वे के लिए नहीं आया ना ही कोई नेता इस दुख की घड़ी में उनका दर्द बांटने आया.