Madhya Pradesh News: हर साल की तरह इस साल भी मध्यप्रदेश में डेंगू अपने पांव तेजी से पसार रहा है. अकेले भोपाल में इस बार करीब 400 केस आ चुके हैं. पूरे मध्यप्रदेश में 1500 के करीब केस दर्ज हो चुके हैं. दरअसल हर साल सितम्बर से लेकर अक्टूबर तक डेंगू के केस बढ़ जाते हैं क्योंकि डेंगू का लार्वा (Dengue larvae)हल्के ठंडे और गर्म मौसम के बीच पनपता है. फिलहाल मध्यप्रदेश में मौसम ठंडा-गर्म बना हुआ है. दोपहर में धूप और रात में हल्की ठंड. मतलब डेंगू के लार्वा के लिए माकूल मौसम है.
मलेरिया विभाग (Malaria Department)के अधिकारियों का कहना है कि हमारी टीमें सर्वे कर रही हैं. डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों से बचाव के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है,जांच और कार्रवाई जारी है, प्रतिदिन विभाग के कर्मचारी शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में निरीक्षण कर पानी एकत्र करने वालों पर कार्रवाई कर रहे हैंऔर इनको लेकर प्रतीकात्मक चलन भी बनाये जा रहे हैं. विभाग लोगों से पानी एकत्र न करने की अपील कर रहा है,वहीं विभाग ने लोगों से पैनिक ना करने की भी अपील भी की है. डॉक्टर बताते हैं कि डेंगू के मच्छर अक्सर दिन के समय में ज्यादा काटते हैं, इस दौरान बचाव के लिए उपाय करना बहुत आवश्यक हो जाता है.
इस साल डेंगू की रोकथाम के लिए मलेरिया विभाग भोपाल ने एक नया तरीका अपनाया. इस साल लोगो को डेंगू के लार्वा को खतम करने के लिए गम्बोसिया मछली का वितरण कर रही है.इस मछली की एक खासियत होती है कि यह पानी में पैदा होने वाले मच्छर के लार्वा को खा जाती है,जिसकी वजह से मलेरिया,डेंगू और चिकुनगुनिया के मच्छर पैदा ही नहीं हो पाते हैं.जिला मलेरिया ऑफिस से इन मछलियों का निशुल्क वितरण कर लोगों को घरों और आसपास इन्हें भरे हुए या जमा हुए पानी में छोड़ने के लिए निर्देशित किया जा रहा है. बताया जाता है कि गंबूसिया मछली 24 घंटे में करीब 100 से 300 तक लार्वा तक खा सकती है और एक वर्गमीटर क्षेत्र में करीब 5 से 6 मछलियां ये काम कर सकती है और लार्वा को नष्ट कर सकती है. फिलहाल डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू में पपीते के पत्तों का जूस, नारियल पानी,हल्दी, खट्टे फल खाना फायदेमंद होता है.
ये भी पढ़ें: MP गजब है: क्या कागजी नर्स से इलाज कराएंगे आप ? तीन कमरों में 100 बिस्तर वाला नर्सिंग कॉलेज देखा है आपने